मौन |
नवगीत :
मौन ही करता रहा ,मौन से संवाद।
ख्वाब भीगे अश्रु से , हुए धूमिल नाद।।
प्रिय तुम्हारी याद में ,रहा विकल ये मन ।
न कोई उम्मीद थी ,ना आस की किरण ।
मिली हमको जिन्दगी, दुख जहांँ आबाद ।
मौन ही करता रहा , मौन से संवाद।।
आसमां में चाँद भी ,रो रहा दिन रात।
ओस की हर एक बूंद ,सह रही आघात।।
न कोई उल्लास अब ,न कोई अनुनाद।
मौन ही करता रहा मौन से संवाद ।
दूर अब प्रिय ना रहो, मन सदा अकुलाय।
प्यार में बदनामियां, अब सही न जाए।।
क्या उन्हें समझाएँ, क्यों करें प्रतिवाद।
मौन ही करता रहा, मौन से संवाद ।।
सुधा सिंह 🦋