मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
दफ़्न हूँ जहाँ
वहीं जी भी रही हूँ,
इन दीवारों के
आगे का जहां
बस उनके लिए है।
मृत हैं ये दीवारें
या मैं ही मृत हूँ
वो हिलती नहीं
और स्थावर मैं
जिसे रेंगना मना है।