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शनिवार, 11 जुलाई 2020

दोहे-वर्षा ऋतु



1:दादुर: 

दादुर टर- टर बोलते,बारिश की है आस। 
बदरा आओ झूमके, करना नहीं निराश।।
 
2 :हरीतिमा: 

वृक्ष धरा पर खूब हो,  भरे अन्न भंडार ।
हरीतिमा पसरे यहाँ, हो ऐश्वर्य अपार।। 

3:वारिद::

वारिद काले झूमके, करते जब बरसात। 
मोर पपीहा नाचते, हों आह्लादित पात।। 

4:चातक:

ताके चातक स्वाति को, होकर बड़ा अधीर। 
पीकर बूंदे स्वाति की , मिटती उसकी पीर।। 

5:दामिनी :

अम्बर चमके दामिनी, बचकर रहना यार। 
जो उसके मग में पड़े , करती उसपर वार।। 

6:कृषक :
*कृषक* उगाता अन्न है,रखता सबका ध्यान। 
रात दिवस उद्यम करे, मिले न लेकिन मान।। 

7:पछुआ :

जब समीर पछुआ बहे ,गर्मी तब बढ़ जाय। 
पानी की हो तब कमी, लू तन को झुलसाय।।

8:पावस :

तपन बढ़े जब ग्रीष्म से , आए *पावस* झूम। 
पशु पक्षी तब नाचते, मचे खुशी से धूम।। 

9:वृक्षारोपण :

वृक्षारोपण कीजिए, फिर होगा कल्याण। 
खिल जाएगी ये धरा, होगा सबका त्राण।।

10:बरसात :

माह सावन बीत गया,कृषक हुए हैरान। 
बूंद इक भी नहीं गिरी,घर में अन्न न धान।।

मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

दोहे:6



31:ईश्वर:
शुक्ति मध्ये मोती ज्यों, मन माही त्यों राम।
अपने हिय को शोध ले, वही ईश का धाम।।
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32:प्रकृति:
वन उपवन उजाड़ भए,नहीं पथिक को छाँह ।
बिगड़ी सूरत प्रकृति की ,  हमें कहाँ परवाह।।
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33:नैतिकता:
छल बल से कम्पित धरा,भरे मनुजता आह।
निज हित में अंधा मनुज,भूला नैतिक राह।।
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34:छल-कपट:
छल कपट अरु प्रवंचना,  हुई धरा पर व्याप्त ।
हे प्रभु फिर अवतार लो,इनको करो  समाप्त ।।
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35:समय:
गति समय की रुके नहीं, समय बड़ा बलवान।
सबक समय से सीख कुछ,ठहरा क्यों नादान।।
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36:परिवर्तन:
परिवर्तन शाश्वत नियम ,विधि का यही विधान ।
अड़े रहे जो लीक पर ,  वो विस्मृत अनजान ।।
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37:काल:
धीमी की गति काल ने,तू भी थम जा यार।
होड़ काल से क्यों करे,काल बल है अपार।।
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38:धर्म:
धर्म संस्कृति पोषण हित , रुके समय की चाल।
धर्म विरोधी जो बना,     गया काल के गाल।।
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39: संगीत
अनुरागी हिय भाव ही , रचते जीवन गीत।
तज दें कलुषित भाव तो, बज उठता संगीत।।
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40:कर्म
 पश्चाताप न हो कभी, कर ले ऐसे कर्म।
आज किया कल भोगना, जीवन का है मर्म।
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41: वीर 
एक *मनोरथ* है यही, देश रहे खुशहाल।
 बच्चा बच्चा वीर हो, बने देश की ढाल।।
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42: लगन 
कार्य करें जो लगन से , सुगम बने तब राह।
बनें विशारद बुद्धि से , मन में रखें न डाह।।

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बुधवार, 13 नवंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे ..1




1:रिश्ते :

यारों इस संसार में, रिश्तों का न मोल। 
जिन नातों में प्रेम है ,  हैं वे ही अनमोल।। 

2:कालिमा :

मन में हो जब कालिमा, जग भी बैरी होय।  
हिय में प्यार जगाइये, मित्र लगे सब कोय।। 

3:अनुबंध :

सात फेरे लगते जब , बनते तब अनुबंध। 
जनमों का नाता बने,    फैले प्रेम सुगंध।। 

4:कलेवर :

रोज नए रंग देखकर, मन जाता है काँप । 
लोग कलेवर ओढ़ते,   जैसे ओढ़े साँप।। 

5:मान :

पाना हो यदि मान तो, कर लो ऐसे काम। 
मिले दुआएं लोक की, जग में होवे नाम।। 

6:प्रासाद :

सब चाहे प्रासाद को, नहीं झुग्गी की आस। 
शुचिता को हैं त्यागते , करते धर्म का नाश।। 

7:कर्महीनता 

कर्महीन हो सो रहे, सत्कर्मों को भूल। 
पीछे पछताना पड़े ,नाव न लागे कूल।। 


कुछ नए दोहे :

8:चिंतन 

चिंतन कर ले रे मना, चिंता दे बिसराय। 
पावन हो तव आतमा,हिय में हर्ष समाय।। 

9:अटल :
अटल इरादे हों अगर , सब कुछ सम्भव होय ।
मुट्ठी में हो ये जहां ,      मिले आसमां तोय।। 

10:आरक्षण :

सबको सबकुछ चाहिए,कम न किसी को भाय।
कर पसारे बैठे हैं,     आरक्षण मिली जाय ।।

11:कुर्सी 

स्वाभिमान को रौंदकर,   कुरसी पीछे धाय।
 सज्जनता बाकी नहीं, मातोश्री अकुलाय।। 

11 Nov 2019