मत रूह किसी की छलनी कर।
तेरी हस्ती मिट जायेगी,
बन्दा उसका चोटिल हो गर।
मासूम की आँखों से अश्रु,
गर बिना बात के निकलेगा।
तू मिटटी में मिल जायेगा,
खुद को पहचान न पायेगा।
जब चोट पड़ेगी ईश्वर की,
आवाज तुझे न आएगी।
न तेरा कोई साथी होगा,
न मांगे मौत ही आयेगी।
'मालिक' हो साथ सदा जिसके,
कोई बाल न बाँका कर सका।
दिल में गर ज्वाला भड़की हो,
तो कौन कयामत रोक सका।
जब वक़्त का पहिया घूमेगा,
तो सबक तुझे सिखलायेगा।
निकलेगी हृदय से 'आह' अगर,
तेरा रोम- रोम जल जायेगा.....
तेरा रोम- रोम जल जायेगा।