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बुधवार, 6 फ़रवरी 2019
शुक्रवार, 26 जनवरी 2018
आया बसंत
आया बसंत, आया बसंत!
झनन - झनन बाजे है
मन का मृदंग
चढ़ गया है सभी पर
प्रेम का रस रँग
बस में अब चित नहीं
बदला है समां- समां
स्पर्श से ऋतुराज के
दिल हुए जवां - जवां
कोकिल सुनाए
मधुर - मधुर गीत
सरसों का रंग
देखो पीत- पीत
खेतों में झूम रही
गेहूँ की बाली
मोरनी भी चाल चले
कैसी मतवाली
ख़ुश हुए अलि - अलि
है खिल गई कली- कली
खग-विहग हैं डार - डार
बज उठे हैं दिल के तार
सात रंगों की फुहार
भ्रमर का मादक मनुहार
प्रकृति भी कर रही
सबका सत्कार है
हुआ मन उल्लसित
चली बसंत की बयार है
धानी चुनर ओढ़
धरणी मुस्काई
तितलियों को देख - देख
गोरी इठलाई
टेसू के फूल और
आम की मंजरियाँ
सुना रहे हैं नित- रोज
नई - नई कहानियाँ
नवजीवन का हर तरफ
हुआ है संचार
आया बसंत लेके
देखो नव बहार
झनन - झनन बाजे है
मन का मृदंग
चढ़ गया है सभी पर
प्रेम का रस रँग
बस में अब चित नहीं
बदला है समां- समां
स्पर्श से ऋतुराज के
दिल हुए जवां - जवां
कोकिल सुनाए
मधुर - मधुर गीत
सरसों का रंग
देखो पीत- पीत
खेतों में झूम रही
गेहूँ की बाली
मोरनी भी चाल चले
कैसी मतवाली
ख़ुश हुए अलि - अलि
है खिल गई कली- कली
खग-विहग हैं डार - डार
बज उठे हैं दिल के तार
सात रंगों की फुहार
भ्रमर का मादक मनुहार
प्रकृति भी कर रही
सबका सत्कार है
हुआ मन उल्लसित
चली बसंत की बयार है
धानी चुनर ओढ़
धरणी मुस्काई
तितलियों को देख - देख
गोरी इठलाई
टेसू के फूल और
आम की मंजरियाँ
सुना रहे हैं नित- रोज
नई - नई कहानियाँ
नवजीवन का हर तरफ
हुआ है संचार
आया बसंत लेके
देखो नव बहार
शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2016
वसन्त
ऋतु वसंत की छटा निराली,
धरती पर फैली हरियाली।
पेड़ों पर गाये कोयलिया,
कलियों पर तितली मतवाली।
मदमस्त पवन गमका उपवन,
खुशबू से भीग रहा तन- मन।
धरती ने ओढ़ी पीली चुनरिया,
देख हुआ मदहोश गगन।
खेतों में बालें लहराएँ,
पक्षी पंचम स्वर में गायें।
कैसे पीछे रहे मोरनी,
वह भी अपनी तान लगाए।
आम की शाखें बौर से भरी,
नई कोंपले ओस से तरी।
पीली सरसों पास बुलाए,
सबके मन के तार बजाए।
मधुर -मधुर रस पीने को,
भँवरे कलियों पर मंडराएं।
सबको मस्त मगन करदे,
इसीलिये 'ऋतुराज' कहाये!
बुधवार, 10 फ़रवरी 2016
वसंत आगमन(हाइकू)
वसंत आगमन(हाइकू)
1
भोर की गूँज
निशा की रवानगी
मुर्गे की बाँग
2
भू पर हुआ
वसंत आगमन
शीत गमन
3
हर तरफ
सबके मुख पर
मुस्कान आई
4
वातावरण
में सुंदरता छाई
महकी धरा
5
सघन वन
चिड़ियों का घोंसला
खेतो की मेड़
6
नई कोंपलें
उल्लास से मगन
खग विहग
7
पुहुप खिले
कली- कली मुस्काई
बहार आई
8
वसुंधरा पे
नवयौवन आया
कोयल गाई
9
आम के बौर
खेतों में लहराई।
पीली सरसों
10
चंचल मन,
महका कण- कण
घर प्रांगण।
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