10::दीपक:
दीपक सम जलता रहा,भारत राष्ट्र महान।
उगे प्रवर्तक तिमिर के ,भेज रहे तूफान ।।
भेज रहे तूफान, देश से करें द्रोह ये।
आगजनी पथराव,कर रहे स्वार्थ मोह से।।
कहे सुधा कर जोड़,बनें स्वदेश के रक्षक
रहे प्रज्वलित ज्योत,जलें हम जैसे दीपक।।
11:कजरा::
आँखों में कजरा लगा,मन ही मन मुसकात।
प्रीत मगन अभिसारिका,पिया मिलन को जात।।
पिया मिलन को जात,महावर पाँव लगाए।
बिंदी चूड़ी पहन,नवेले स्वप्न सजाए।।
सखे सुधा खुश आज,सजन तेरा लाखों में
सदा रहे सम्पन्न , खुशी चमके आँखों में।।
12:आँचल ::
माँ के आँचल सा सखी, जग में वसन न कोय।
ममता ऐसे है बहे,बहता जैसे तोय।।
बहता जैसे तोय, पुत्र की विपदा हरती।
बालक रहे प्रसन्न,सदैव प्रार्थना करती।।
कहे सुधा रख ध्यान,समीप न पीड़ा झाँके।
रहे सदा खुश मात,पास रहना तुम माँ के।।
13:झुमका: :
सोहे झुमका कान में,पायल शोभित पाँव।
गोरी छन छन जब चले निरखे पूरा गाँव।।
निरखे पूरा गाँव, गात जिसके हैं चंदन ।
रूप सलोना देख, मदन रति करते क्रंदन।।
खेलत कुंतल संग ,लगावे पल पल ठुमका।
हौले चूम कपोल ,कान में शोभे झुमका।।
14: चूड़ी::
चूड़ी पहने राधिका, केशव रही रिझाय ।
देख मनोहर कांति को,श्रीराधे शरमाय।।
श्रीराधे शरमाय,कभी जल में छवि निरखे
सुन कान्हा की वेणु ,राधिका का हिय हरखे।।
संग बांसुरी कृष्ण,रूप सुंदर क्या कहने ।
रम्या प्रेमिल मूर्ति , रिझाती चूड़ी पहने।।