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गुरुवार, 28 मई 2020

कोरोना-

 माहिया छंद:(टप्पे 12,10,12)

कोरोना आया है
साथी सुन मेरे
अंतस घबराया है 

घबराना मत साथी
आँधी आने पर
कब डरती है बाती

ये हलकी पवन नहीं 
देख मरीजों को 
जाती अब आस रही

मत आस कभी खोना
सूरज निकलेगा
फिर काहे का रोना

बदली सी छायी है
देने दंड हमें 
कुदरत गुस्साई है

जीवन इक मेला है
दुःख छट जाएँगे
कुछ दिन का खेला है ।



बुधवार, 27 मई 2020

प्रलयकाल


वो निकला है अपने ,
मिशन पर किसी।
मारे जाते हैं मासूम,
संत और ऋषि।।

क्रोध की अग्नि में ,
भस्म सबको करेगा।
गेहूँ के साथ चाकी में,
घुन भी पिसेगा।।

कैद करके घरों में,
बिठाया हमें।
अपना अस्तित्व,
फिर से दिखाया हमें।।

दृष्टि उसकी मनुज पे,
हुई आज  वक्र।
निकाला है उसने ,
पुनःअपना चक्र।।

शत का अर्थ जरासंधों,
को बतला रहा है।
सबक कर्मों का फिर ,
हमको सिखला रहा है।।

नाम उसका सुदर्शन ,
अब कलि(युग) में नहीं।
उसको संतुष्टि मात्र ,
एक बलि में नहीं।।

अनगिनत प्राण,
लेकर ही अब वो थमेगा।
जीत धर्म की अधर्म ,
पर वो निश्चित करेगा।।

खेलते हम रहे ,
उसकी जागीर से।
नष्ट की प्रकृति,
अपनी तासीर से।।

रूप विकराल ले ,
मान मर्दन को वो।
हमको औकात,
अपनी दिखाएगा वो।।

कहीं अम्फान, भूकंप ,
महामारी कोरोना।
डरता हर पल मनुज ,
ढूँढे रक्षित कोई कोना।।

अहमी मानव न,
घुटनों के बल आएगा।
खूब रोयेगा , बेहद
तब पछताएगा।

स्वयं हमने प्रलय को ,
है न्योता दिया।
अपने अपनों से ,
कैसा ये बदला लिया।।

चेत ले है समय ,
कब तू संभलेगा अब।
मानव जाति खत्म होगी,
दम लेगा तब???

बुधवार, 15 अप्रैल 2020

दाग कोरोना काल का..

.

# दाग कोरोना काल का

किसी ने कहा था कि
दाग अच्छे हैं!!!
हाँ दाग अच्छे  हैं...
पर तब तक
कि जब तक
जड़ न हो जाएँ..
हमेशा के लिए
किसी रंग को,
बदरंग न कर जाएँ...
किसी के जीवन में
झंझा न भर जाएँ
किन्तु जीव की जीवटता
के आगे किसी का
अस्तित्व कहाँ टीक सका है!!
यह तो अनवरत
प्राकृतिक प्रक्रिया है
इसे चलना है...
जो आया है, उसे जाना है।
ये लिजलिजाता, बदनुमा, भद्दा दाग
जो अद्य सबको अपने पंजों में
जकड़ने को आतुर है
व‍ह भी कब तक
किसी को छका पाएगा
उसे भी तो
जाना ही पड़ेगा।
बस इंतजार है..
तो उस 'सर्फ एक्सेल' का
जो पड़ोसी के दिए
इस भद्दे, विद्रूप दाग का
चिर नाश करेगा
और हम फिर से
आजादी की हवा में
मुक्त साँस ले सकेंगे..

बिना य़ह भूले कि,
"कुछ पड़ोसियों के दाग,
बिलकुल भी अच्छे नहीं होते। "

~सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

रविवार, 22 मार्च 2020

कोविड-2019 - कुंडलियाँ



1-
इक व्याधि ऐसी पसरी,कोविड जिसका नाम
त्राहि त्राहि जनता करे, हमें बचाओ राम ।।
हमें बचाओ राम, करो विषाणु से रक्षण।
ज्वर,ज़ुकाम अरु दस्त, खास ये इसके लक्षण
साबुन से धो हाथ, खाइए भोजन सात्विक।
रहिए सबसे दूर, फैली ऐसी व्याधि इक ।।

2-
बातें कोविड की सुनो , लाया है पैगाम ।
स्वच्छता की दे शिक्षा ,कहता करो प्रणाम।
कहता करो प्रणाम,जियो अनुशासित जीवन
सुखमय रहे समाज, बने वसुधा व‍ह उपवन
सात्विक हो आहार, बीते दिन श्रेष्ठ रातें ।
त्यागें पशुता आज, सुने कोविड की बातें।