अमीर छंद
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विधान ~ 11,11
हे जग तारणहार ।
कर जोड़ूँ बारंबार।।
हम सबके भर्तार।
कर दो बेड़ा पार।।
बढ़ा है दुराचार।
उच्छृंखल व्यवहार।।
नफरत का बाजार।
जिसका न पारावर।।
कोरोना की मार।
ठप्प पड़ा व्यापार।।
घर ही कारागार।
हर कोई लाचार।।
दुख है अपरंपार।
जीना है दुश्वार।।
जग के पालनहार।
मग मैं रही निहार।।
युग युग से सरकार।
तुम सबके आधार।।
ले लो फिर अवतार।
सुंदर हो संसार।।
🙏🙏