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शनिवार, 24 फ़रवरी 2018
प्रेम रस
तुम कान्हा बन आओ तो नवनीत खिलाएँ
भोले शंकर बन जाओ तो भंग - धतूर चढ़ाएं
पर
दिल तो प्रियवर के प्रेम से परिपूरित है.
थोड़ा भक्ति रस ले आओ तो कुछ बात बने.
सुधा सिंह 🦋
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