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शनिवार, 16 मई 2020

हे कोरोना वीरों...


हे कोरोना वीरों, 
तुम्हें शत- शत प्रणाम ।
दाँव लगाकर प्राणों को , 
करते हो तुम काम।।

कड़ी धूप में स्वेद से तर ,
वर्दी का तुम मान हो रखते।
घुप्प अँधेरी रातों में भी  ,
अपने फ़र्ज का भान हो रखते।।
तुम रखते हो अनुशासन का,
खयाल आठों याम।

हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।

अस्पताल के खुले कक्ष में,
शौच किया बेशरमों ने।।
थूका तुम पर,पत्थर मारे,
धृष्ट हुए बेरहमों ने।
फिर भी अपने धर्म को तुमने ,
दिया सदा अंजाम।

हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।

स्नेही जनों को पीछे छोड़
तुम अपना कर्तव्य निभाते।
खाद्य अन्न कहीं कम न पड़े,
वाहन  दिन -रात चलाते।।
राष्ट्र की खातिर पीछे छोड़ा,
तुमने अपना धाम।

हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।

विपदा ऎसी देश में आई,
हर मन है घबराया -सा।
उहापोह में बीत रहे दिन,
हर चेहरा मुरझाया -सा।।
ऐसे संकट काल में खबरें,
पहुँचाते तुम सुबह- शाम।

हे कोरोना वीरों,
तुम्हें शत शत प्रणाम।।


रविवार, 22 सितंबर 2019

तेरे आंगन की गौरैया मैं .....

Daughters day

माँ, माना कि तेरे आंगन की 
गौरैया हूँ मैं... 
कभी इस डाल कभी उस डाल, 
फुदकती रहती हूँ यहाँ- वहाँ! 
विचरती रहती हूँ निर्भयता से, 
तेरी दहलीज के आर पार! 
जानती हूँ मैं 
तू डरती बहुत है कि 
एक दिन मैं उड़ जाऊँगी  
तुझसे दूर आसमान में! 
अपने नए आशियाने की
तलाश में! 
पर तू डर मत माँ 
मैं लौट कर आऊँगी
तेरे पास! 
अब मैं बंधनों में
और न रह पाऊँगी! 
समाज की रूढ़ियाँ,
विकृत मानसिकताएँ 
मेरे परों को अब 
नहीं बांध पाएँगी माँ.. "
जानती हूँ तुझे भी
बादलों से बतियाने
का मन है माँ 
चल आज तुझे भी 
अपने साथ 
नए आकाश में 
उड़ना सीखाऊँ मैं....
अब मैं निरीह नहीं माँ, 
मैं नए जमाने की बेटी हूँ ।

बेटी दिवस पर
सभी बेटियों को समर्पित 

सोमवार, 27 मई 2019

कनकपुष्प

कनकपुष्प..

जेठ की कड़कती दुपहरी में
जब तपिश और गर्मी से सब
लगते हैं कुम्हलाने ।
नर नारी पशु पाखी सबके
बदन लगते हैं चुनचुनाने ।
जब सूखने लगते हैं कंठ
और हर तरफ मचती है त्राहि त्राहि।

तब चहुंँदिस तुम अपनी
रक्तिम आभा लिए बिखरते हो ।
सूरज की तेज प्रखर
रश्मियों में जल जलकर
तुम और निखरते हो।
तुम जो जीवन की इन विडम्बनाओं को
ठेंगा दिखाते हुए सोने से दमकते हो।
अब तुम ही कहो गुलमोहर
तुम्हें कनक कहूँ या पुष्प ।

गुलमोहर तुम कनकपुष्प ही तो हो,
जो पुष्प की तरह अपना सुनहरा 
रक्ताभ लिए खिलखिलाते हो।
और जीवन के सबसे कठिन दौर में
भी बिना हताश हुए मुस्कुराते हो।

हे कनकपुष्प, यदि तुम्हें गुरु मान लें
तो अतिश्योक्ति न होगी!!!



शुक्रवार, 17 मई 2019

लक्ष्य साधो..


लक्ष्य साधो हे पथिक,
हौसला टूटे नहीं।
कठिन है डगर मगर, 
मंजिल कोई छूटे नहीं।।

गिरोगे सौ बार पर, 
स्मरण तुम रखना यही।
यत्न बिन हासिल कभी, 
कुछ भी तो होता है नहीं।।

पग पखारेगा वो पथ भी, 
जो निराश न होगे कभी।
काम कुछ ऐसा करो, 
मंजिल उतारे आरती।।

संग उसको ले चलो,
जो पंथ से भटका दिखे।
क्लांत हो, हारा हो गर वो, 
साथ देना है सही।।

वृक्षों की छाया तले, 
सुस्ताना है सुस्ता लो तुम।
पर ध्येय पर अपने बढ़ो, 
रुकना नहीं हे सारथी।।

Motivational poem : मना है....


शुक्रवार, 3 मई 2019

सुनो बटोही





सुनो बटोही,
तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है।
बहु बाधा, बहु विघ्नों से, तुम्हें निर्भय टकराना है।
ये जीवन, हर पल खुशियों और दुख का ताना बाना है।
कभी उठाओगे तुम किसी को, तो कभी किसी को तुम्हें उठाना है ।।

सुनो बटोही,
काल की हर क्रीड़ा से तुम्हें सामंजस्य बिठाना है ।
इस चक्र में गिरना है , संभलना है।
हर उम्र एक पड़ाव है , रुकना, सुस्ताना है।
कटीबद्ध हो फिर, कर्मपथ पर आगे बढ़ जाना है।।

सुनो बटोही,
मष्तिष्क में कौंधते मिथ्या भावों के जालों को तुम्हें सुलझाना है।
निविड़ तिमिर में तुम्हें हौसलों की मशाल जलाना है।
सम्पूर्ण निष्ठा से रहट बन अनवरत अपना धर्म निभाना है।
पतझड़ में तुम्हें आशाओं के फूल खिलाना है।।

सुनो बटोही,
तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है...










सोमवार, 28 जनवरी 2019

पथिक अहो...



पथिक अहो.....
मत व्याकुल हो!!!
डर से न डरो
न आकुल हो।
नव पथ का तुम संधान करो
और ध्येय पर अपने ध्यान धरो ।

नहीं सहज है उसपर चल पाना।
तुमने है जो यह मार्ग चुना।
शूल कंटकों से शोभित
यह मार्ग अति ही दुर्गम है ।
किंतु यहीं तो पिपासा और
पिपासार्त का संगम है ।

न विस्मृत हो कि बारंबार
रक्त रंजित होगा पग पग।
और छलनी होगा हिय जब तब।

बहुधा होगी पराजय अनुभूत।
और बलिवेदी पर स्पृहा आहूत।

यही लक्ष्य का तुम्हारे
सोपान है प्रथम।
इहेतुक न शिथिल हो
न हो क्लांत तुम।

जागृत अवस्था में भी
जो सुषुप्त हैं।
सभी संवेदनाएँ
जिनकी लुप्त हैं।
कर्महीन होकर रहते जो
सदा - सदा संतप्त हैं ।
न बनो तुम उनसा
जो हो गए पथभ्रष्ट हैं ।

बढ़ो मार्ग पर, होकर निश्चिंत।
असमंजस में, न रहो किंचित।
थोड़ा धीर धरो, न अधीर बनो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।

पथिक अहो, मत व्याकुल हो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।

सुधा सिंह 📝

बुधवार, 19 सितंबर 2018

मना है...


न  दौड़ना मना है,   उड़ना मना है
न गिरना मना है , न चलना मना है!
जो बादल घनेरे, करें शक्ति प्रदर्शन
तो भयभीत होना, सहमना मना है!

पत्थर मिलेंगे, और कंकड़ भी होंगे.
राहों में कंटक, सहस्त्रों चुभेंगे!
कछुए की भाँति निरन्तर चलो तुम,
खरगोश बन कर, ठहरना मना है!

भानु, शशि को भी लगते ग्रहण हैं..
विपदाओं को वे भी, करते सहन हैं!
विधाता ने गिनती की साँसे हैं बख्शी..
उन साँसों का दुरुपयोग करना मना है!

गिरा जो पसीना, तो उपजेगा सोना.
लहू भी गिरे तो, न हैरां ही होना .
निकलेगा सूरज, अंधेरा छटेगा.
नया हो सवेरा , तो सोना मना है!!!

📝 सुधा सिंह 🦋