चाटुकारिता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
चाटुकारिता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 5 मई 2019

वाह रे चापलूसी........


वाह रे चापलूसी, तुझमें भी बात है।
तू जिसके पास होती,वह बन्दा बड़ा खास है।।

दुम हीनों को दुम दे, तू श्वान बनाती है।
जीभ लपलपाना , तू उसको सिखाती है।।

यस मैम, जी हुजूरी, तू जिससे कराती है।
कंगाल हो जो बंदा, मालामाल बनाती है।।

धर्म, कर्म, शर्म को, तू मुंह न लगाती है।
पास हो ये जिनके, उनसे दूर चली जाती है।।

रख राम राम मुँह में, यही बात सिखाती है
छुरी हो बगल में, यही सबक देकर जाती है

ईमानदारी और प्रतिभा से, तू बैर कराती है
निठल्लों, निकम्मों को, तू शेर बनाती है।।

कर बॉस की प्रशंसा, कुर्सी के पाँव चटाती है।
तू भूल गई मानवता, तुझे शर्म नहीं आती है।।

वाह रे चापलूसी........

रविवार, 26 नवंबर 2017

निष्पक्षता

      निष्पक्षता एक ऐसा गुण है जो सबके पास नहीं होता. सदैव निष्पक्ष रहने का दावा करने वाला मनुष्य भी कभी न कभी पक्षपात करता ही है. एक ही कोख से जन्म देने के बाद भी दुनिया में सबसे अधिक सम्माननीय और देवी के रूप में पूजी जाने वाली मां भी कई बार अपने दो बच्चों में फर्क करती है तो समाज से कैसे निष्पक्षता की उम्मीद कर सकते हैं
      बड़ी से बड़ी कंपनियों और दफ्तरों, चाहे सरकारी हों या गैर सरकारी, उनमें भी बड़े अधिकारी अपने सभी कर्मचारियों के बीच पक्षपात करते हैं
       समान रूप से मेहनत और लगन से काम करने के बाद भी कई मेहनतकश  लोगों को पदोन्नति नहीं मिलती. इसके पीछे बड़े अधिकारियों की शारीरिक मानसिक अथवा आर्थिक भूख होती है .यदि इनमें से एक भूख को भी कोई मिटा दे तो अधिकारी गण उसी के पक्ष में हो जाते हैं और वह तरक्की की सीढ़ियां चढता चला जाता है. इसके लिए उसे अधिक मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि चाटुकारिता नामक एक खास गुण उसके लिए सभी बंद दरवाजों क़े ताले खोल देता है परंतु जो इस खास और अहम गुण का स्वामी नहीं होता, वह हाथ मलता रह जाता है.सिर्फ़ इतना ही नहीं कभी कभी वह अवसाद का शिकार हो जाता है. यह अवसाद अक्सर जानलेवा साबित होता है क्योंकि दफ्तर तो दफ्तर उसके घर में भी उसको उचित मान सम्मान नहीं मिलता.
       अतः निष्पक्षता एक ऐसा गुण है जो सबके बस की बात नहीं है पर इसका ढकोसला करने वाले लोग बहुत मिलते हैं. इनसे बचकर रहना ही हितकर होता है.