गीत :(16,14)
सामाजिक संचार तंत्र ने ,
सबको अपना दास किया ।
ज्ञानवान मानव ने तब से,
खुद को कारावास दिया ।।
कक्ष रोते, रोती रसोई ,
स्वच्छता का भान नहीं ।
उनको बनना टिक -टॉक स्टार ,
घर में बिलकुल ध्यान नहीं ।।
इंस्टाग्राम सजाने खातिर,
पत्नी ने अवकाश लिया।
मुखपोथी, टिक टॉक, लाइकी ,
अब तो घर में राज करें ।
खिंचवाकर सुंदर तस्वीर ,
हम तो खुद पर नाज करें।।
कम लाइक जब मिले देखकर,
धक -धक , धक -धक करे जिया ।
स्वास्थ्य की अब नहीं है चिन्ता ,
तन को देखो स्थूल भए।
आभासी दुनिया से जुड़कर,
रिश्ते -नाते भूल गए ।।
गोदी में संतान की जगह,
लैपटॉप ने स्थान लिया ।।
सुधा सिंह 'व्याघ्र'