आस |
दिनांक :2.11.19
विषय :आस
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।
मन उजाला भर गया, और धुंध भी छटती रही ।।
वो मिलेगा एक दिन, चाहा था जिसको ऐ सखी ।
थाम कर उम्मीद का दामन, चली मैं उस गली ।।
पांँव में छाले पड़े, और याद में तिल - तिल जली।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।
उनकी मीठी बातों ने, पल पल हँसाया था मुझे ।
ख्वाबों ने आ आके, नींदों में जगाया था मुझे।।
जिन्दगी सुख दुख के पंखे, से सदा झलती रही।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।
आज खुशियों के गगन में, सुख का सूरज है उगा।
निविड़ तम को भेद करके, भोर भी है अब जगा।।
प्रिय मिलन की प्यास मेरी , आज है बुझती रही।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।
सुधा सिंह 🦋