सिया की मेहनत का आज गुणगान हो रहा है!
रिया की कोशिशों का भी खूब बखान हो रहा है!
जहाँ प्रथम का चेहरा खुशी से लाल हुआ जा रहा है!
वही शुभम आज मां से आखें चुरा रहा है!
ओम ने बाजार से खास मिठाइयां लाई हैं!
पर सोम के घर में खामोशी-सी क्यों छाई है?
खुशियों और गम का ये कैसा संगम है!
कहीं उदासी और मायूसी के सुर,
तो कही आनंद की सरगम है!
लग रहा है जैसे युद्ध का दिन है!
नहीं!........
आज तो रिज़ल्ट का दिन है!
दीपक आगे की कठिन पढ़ाई से घबरा रहा है!
सवालो का बवंडर मन में भूचाल - सा उठा रहा है......
गणित के सवाल क्यों भूत बनकर मुझे इतना सताते हैं!
अकबर और बाबर मुझे नींद में भी डराते हैं!
अब पड़ोसी अपनी बेटी के प्रथम आने पर ख़ूब इतराएंगे!
पढ़ाई के नये नये टिप्स मुझे बताएंगे!
आगे क्या होगा?
पापा की झिड़की मिलेगी, उनका दुलार होगा?
या मूड उनका फिर से खराब होगा?
छोटी के प्रश्नों का आखिर मेरे पास क्या जवाब होगा?
आज वार्षिक कर्मफल का दिन है!
मन की कशमकश और उथल- पुथल का दिन है!
आज तो रिज़ल्ट का दिन है!
सच ही तो है ! आज युद्ध का दिन है!
©सुधा सिंह