देर ना करना पिया जी... गीत
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।
चाँदनी भी खिलखिलाई
बाग में चटकी कली है ।।
तान छेड़े मन मुरलिया,
रात दिन तुमको पुकारे।
दूरी अब जाए सही न
तू कहाँ है ओ पिया रे।। 1।।
उर्मियाँ हिय की उछलती
जलधि से मिलने चली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।
बिन तुम्हारे जगत सूना
हर तरफ अंधियारा है।
चांदनी रातें न भाएँ
लगती ज्यों अंगारा है।।
दर्श को आँखें तरसती
विरह में पल पल जली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।2।।
हृदय में मूरत तुम्हारी
है पिया मैंने बसाई।
तुम्हीं हो हर ओर दिखते
तुम्हीं हो देते सुनाई।।
राह कब तक और देखूँ
साँस की संझा ढली है।
देर ना करना पिया जी
आस की फिर लौ जली है ।।3।।
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