तुम बिन .....
मेरी रगों में
लहू बनकर
बहने वाले तुम
ये तो बता दो कि
मुझमें मैं बची हूँ कितनी
तुम्हारा ख्याल जब - तब
आकर घेर लेता है मुझे
और कतरा - कतरा
बन रिसता हैं
मेरे नेत्रों से.
तड़पती हूँ मैं
तुम्हारी यादों की इन
जंजीरों से छूटने को.
जैसे बिन जल
तड़पती हो मछली
इक इक साँस पाने को.
ये टीस, यह वेदना
चीरती है मेरे हृदय को.
कर देती है मुझे प्राणविहीन
कि तुम बिन
मेरा अस्तित्व है ही नहीं.