1:पहचान
यूँ तो उनसे हमारी जान पहचान
बरसों की है पर....
फिर लगता है कि क्या
उन्हें सचमुच जानते हैं हम
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2:जिन्दगी
जिन्दगी जीने की चाह में
जिन्दगी कट गयी
पर जिन्दगी जीई न गई
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3:पल
हमने पल - पल
बेसब्री से जिनकी
राह तकी
वो पल तो
हमसे बिना मिले
ही चले गए
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4:ऊँचाई
ऊँचाई से डर लगता है
शायद इसीलिये
आज तक मेरे पाँव
जमीं पर हैं
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5:कलयुग...
यूँ तो हीरे की परख,
केवल एक जौहरी ही कर सकता है
पर
आजकल तो जौहरी भी,
नकली की चमक पर फिदा हैं
कलयुग इसे यूँ ही तो नहीं कहते...