बुधवार, 3 जून 2020

पीढ़ी अंतराल


 मात्रा भार:(10,14)



पीढ़ी अंतराल,बड़ा मचाता है बवाल 
रोते हैं बुजुर्ग,उठा घर में है भूचाल।।

पीढ़ी नव कहती, नया आया है जमाना।
इनको तो बस है, हमपे हुक्म ही चलाना।
समझे नव पीढ़ी,  उन्हें जी का जंजाल।
पीढ़ी अंतराल,बड़ा मचाता है बवाल।।

मेरी ना सुनता,  नहीं बैठे मेरे पास।
सिसके हैं बुजुर्ग, हम न आएँ इनको रास।।
करें बस  धृष्टता , धरें अंतस नहीं मलाल।
पीढ़ी अंतराल,बड़ा मचाता है बवाल।।

नव और पुराना, ये टकराव घटाना है।
समझें दूजे को, मन के भेद मिटाना है।।
होंगे सब प्रसन्न, घर में होगा फिर धमाल।
पीढ़ी अंतराल,बड़ा मचाता है बवाल।।

सुधा सिंह 'व्याघ्र'

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 03 जून 2020 को साझा की गई है....  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सांध्य दैनिक में स्थान देने के लिए आभार आदरणीय

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  2. चलता रहेगा पीढ़ी दर पीढ़ी :) सुन्दर।

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    1. जी सही कहा आपने... प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय

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