रविवार, 19 जुलाई 2020

कैसे भी हों हालात मगर...


कैसे भी हों हालात मगर ,
सफर अपना जारी रखो।
डगर में मुश्किलें आएंगी कई 
उनसे लड़ने की तैयारी रखो।1।

बढ़ते कदमों को रोकने वाले,
राह में मिल जायेंगे बहुत, 
जो आ सको काम किसी के, 
वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।

पेट की आग इंसान को 
इंसान रहने देती नहीं,
बाँट लो अपनी रोटी का एक टुकड़ा उससे, खुद को स्वल्पाहारी रखो।3।

सियासत के इस खेल में, 
अपने और पराए ढूँढ पाओगे नहीं,
बस रह जाए साख सलामत अपनी, उतनी तो जानकारी रखो।4।

देखकर दुनिया का चलन 'सुधा ',   अब तो डर लगता है बहुत,
कहीं खत्म न हो जाए इंसानियत थोड़ी उसपे भी पहरेदारी रखो।5।






5 टिप्‍पणियां:

  1. देखकर दुनिया का चलन 'सुधा ', अब तो डर लगता है बहुत,
    कहीं खत्म न हो जाए इंसानियत थोड़ी उसपे भी पहरेदारी रखो
    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

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  2. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 30 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


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  3. बढ़ते कदमों को रोकने वाले,
    राह में मिल जायेंगे बहुत,
    जो आ सको काम किसी के,
    वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।
    वाह!!!!
    क्या बात...
    बहुत ही सुन्दर प्रेरक सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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