देखो...
जमाने की नज़रों में
सब कुछ कितना
सुंदर प्रतीत होता है न
मांग में भरा
ये खूबसूरत सिंदूर,
ये मंगलसूत्र
सुहाग की चूडियाँ
ये पाजेब, बिछिया, ये नथिया...
और....
स्वयं में सिमटी हुई मैं...
जो बटोरती है कीरचें अहर्निश
अपनी तन्हाई के
और तटस्थ तुम...
तुम... न जाने कब तय करोगे
अपने जीवन में
जगह मेरी..
क्यों मांग मेरी
बन गई है
वो दरिया
जिसके दोनों किनारे
एक ही दिशा में गमन कर रहे हैं
पर आजीवन
अभिसार की ख्वाहिश लिए
तोड़ देते हैं दम
और चिर काल तक
रह जाते हैं अकेले... अधूरे...
ये ख्वाहिश भी
एक तरफा ही है शायद कि
तुम्हारा और मेरा पथ एक है
पर मंज़िल जुदा...
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी 🙏
जवाब देंहटाएंप्रिय सुधा जी , नारी मन अनगिन अपेक्षाओं और आशाओं से भरा होता है | कभी -कभी कोई बहुत अपना tतटस्थ रह कर उन आशाओं को खंडित करता है तो वेदना की टीस उभरती है और विकल भाव भी | प्रस्तुत रचना में बहुत ही सहजता से उन भावों को उकेरा गया है | हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं भावपूर्ण रचना के लिए | इन्हीं भावों से मिलती जुलती मेरी रचना का एक अंश ----------
जवाब देंहटाएंसुनो मन की व्यथा कथा -
ज़रा समझो जज्बात मेरे ,
कभी झाँकों सूने मन में -
रुक कर कुछ पल साथ मेरे !
दीप की भांति जला है ये दिल -
सदियों सी लम्बी रातों में ,
कभी थमे - कभी छलके हैं -
अनगिन आंसूं मेरी आँखों से ;
छोडो अलसाई रात का दामन
कभी तो जागो साथ मेरे !!
हार्दिक स्नेह के साथ --
रेणु दी आपकी प्रतिक्रिया सदा मन में गहराईयों तक पहुंचती है आप रचना की आत्मा को भली भांति टटोल लेती हैं. इन स्नेहिल शब्दों के लिए आपका अनेकानेक धन्यवाद दी.
हटाएंआपकी रचना सचमुच बहुत सुन्दर है दी. नारी हृदय का शाश्वत उद्गार.
क्यों मांग मेरी
जवाब देंहटाएंबन गई है
वो दरिया
जिसके दोनों किनारे
एक ही दिशा में गमन कर रहे हैं
पर आजीवन
अभिसार की ख्वाहिश लिए
नारी के मनोभावों का सुंदर चित्रण ,लाज़बाब सृजन ,सादर नमन
शुक्रिया सखी 🙏 🙏 🙏
हटाएंविवाह एक संस्था है... वर्षों पुरानी, खोखली दीवारों वाली, छत की बाली को दीमक लगी हुई।
जवाब देंहटाएंजब यह जीवित, और प्राण युक्त मिलन बन जायेगा तब
दोनों की मंजिल एक होगी
फिर किनारे नहीं होंगे
केवल अभिसार की हकीकत होगी।
बहुत खूबसूरत रचना।
नई रचना- सर्वोपरि?
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आ.🙏 बिलकुल यथार्थ, कई वर्जनाओं के साथ जी रही है नारी. प्रेम और वात्सल्य से भरी नारियों को कुछ नहीं केवल प्रेम और अपनापन ही तो चाहिए फिर खुशी खुशी वह अपना समस्त जीवन दूसरों को अर्पित कर देती है.