अश्रु आखों से क्या गिरे,
वो हमसे ही दूर हो गए।
झूठी हंसी दिखाने को,
हम भी मजबूर हो गए ।
वक्त भी बड़ा सितमगर है,
अपने ही मगरूर हो गये।
हम पर प्यार लुटाने वाले ,
न जाने क्यों क्रूर हो गये।
कैसा दस्तूर है दुनिया का ,
दिल में लाखों गम समेट कर भी
हम हंसने को मजबूर हो गए।
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