रविवार, 10 मई 2020

तक़सीर...







*अना-परस्त हैं वो, और *ज़बत उन्हें आती नहीं
*फना हुए उनकी नादानियों पे हम, पर वो रस्में वफा निभाती नहीं ।1।

अदाएँ दिखाकर लूटना तो *शगल है उनका और
 हम लुट गए उन अदाओं पे, वो समझ पाती नहीं ।2।

क्यों अब तलक वो करती रही , *पैमाइश मेरी
हम कोई *शय नहीं ,क्या उसे समझ आती नहीं।3।

जाके कह दो कोई  ,कि मोहब्बत है उनसे
बिन उनके सर्द रातें भी ,अब सुहाती नहीं ।4।

क्या उनकी आरजू करना, *तकसीर है मेरी
क्यों हमें अपना जलवा, वो दिखाती नहीं।5।



उर्दू-हिंदी:

1:अना-An inflated feeling of pride in your superiority to others.,अहंकार
(अना परस्त-egoistic)
2:ज़बत-सहनशीलता
3:फ़ना- कुर्बान
4:शगल- शौक़
5: पैमाइश-नापने या मापने की क्रिया
6:शय- वस्तु, object
7:तकसीर-अपराध, गलती







2 टिप्‍पणियां:

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