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सोमवार, 6 अप्रैल 2020

मोहन मधुर बजाओ बंशी...


मोहन मधुर बजाओ बंशी-भजन
मात्रा भार--16, 14
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
मोहन मधुर बजाओ बंशी,
प्रेम मगन हो इतराऊँ
देख देख पावन छवि तेरी 
मन ही मन मैं शरमाऊँ

अपलक राह तुम्हारी देखूँ
हे कान्हा तुम आ जाओ
टेर सुनो अब मेरी कान्हा 
यूँ मुझको मत तड़पाओ
छेड़ दो दिल के तार हरि ओ 
गीत खुशी के मैं गाऊँ

मैं हूँ जोगन तुम्हरी कान्हा 
तुम भी जोगी बन आओ 
नंदन वन में रास करेंगे 
लीला अपनी दिखलाओ 
बिना तुम्हारे कब तक कान्हा 
उर अन्तर को बहलाऊँ

बाट जोहती पलक बिछा कर
हे कान्हा तुम आ जाओ
माधव नाव फँसी मझधारे
आकर पार लगा जाओ 
हे मुरलीधर, हे सर्वेश्वर 
तुम्हें देख लूँ सुख पाऊँ 


सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

रविवार, 28 जनवरी 2018

कहंँवा हो प्यारे सखे





कहंँवा हो प्यारे सखे
गोपियाँ हैं राह तके!
दर्शन की प्यास जगी,
तन मन में आग लगी!
बंसी की मधुर धुन,
सुना दो सखे!
गोपियाँ हैं राह तके!

वातावरण है नीरस,
उल्लास का कोई नाद नहीं
भूख प्यास गायब है,
मक्खन में स्वाद नहीं!
आके स्वाद इनमें,
जगा दो सखे!
क्षीरज तेरी  राह तके!

                               सूरज फिर निकलेगा, फिर चमकेगा

जमुना है शोकमय,
लहरों में रव नहीं!
कान्हा तुम्हारे बिन,
प्यारा ये भव नहींन
जमुना की लहरों को,
ऊंचा उठा दे सखे!
जमुना है राह तके!

ऋतु हो बसंत की ,
और कान्हा का संग हो!
तो झूम उठे वृंदावन,
पुलकित हर अंग हो!
तरंग सारे अंग में,
जगा जा सखे!
कण - कण है राह तके!