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बुधवार, 6 मई 2020

नागफ़नी

नागफ़नी!!!
सरल नहीं है तुमसे प्यार करना,
कुपोषित ,बंजर ,
ऊसर जमीन की उत्पन्न तुम
और तुम्हारी उत्पन्न भी
खुरदुरी, काँटोभरी।

फूल एकाध उग आते हैं
यदा -कदा तुम पर भी।
शायद यही वह क्षण होता है...
जब तुम में संचार होता है
स्नेही स्निग्धता का,
और तुम कुछ क्षणों के लिए
आकर्षित करते हो सबको।

किंतु फिर आते ही क़रीब
चुभ जाते हो शूल बन हथेलियों में
कर देते हो छलनी
दिल का हर कोना।
छोड़ देते हो
भद्दा- सा एक निशान,
दामन को पल -पल
आँसुओं से भिगोते हुए,
दूर कर देते हो स्वयं को
उनसे ,जो तुम्हें ,
अपने जीवन का
अंग मानने लगे थे।

मेरे नागफ़नी !!
क्या तुम भी
अनुराग के बदले अनुराग
नहीं दे सकते??