सोमवार, 15 जून 2020

सुशांत सिंह राजपूत


कैसे कह दूँ कि तू राजपूत था
राजपूतों का इतिहास अजर है अमर है

किसी राजपूत ने रणक्षेत्र में
आज तक पीठ नहीं दिखाई
तू कैसे हार गया जिन्दगी की बाज़ी. 
तूने कैसे उससे मुँह की खाई!!! 

तू जिन्दगी को रणक्षेत्र ही समझ लेता. 
जिन्दगी की दुश्वारियों से थोड़ा और लड़ लेता. 

यूँ  हार जाता लड़ते लड़ते, 
जूझते-जूझते तो भी तेरी शान होती.
अपने नाम का मान रख लेता
तो बढ़ी तेरी आन होती 

ये कैसा कायरता पूर्ण व्यवहार है तेरा
ईश्वर को तू क्या मुँह दिखाएगा?? 
आत्महत्या जैसे घृणित पाप
का दंश क्या तू सह पाएगा??? 

कैसे कह दूँ तू राजपूत था 

अश्रु पूरित श्रद्धांजलि 🙏 🙏 🙏 
सुशांत 😔😔
Pls come back 


7 टिप्‍पणियां:

  1. मानसिक रोगी होता है एक अवसाद ग्रस्त शख्स आत्महत्या करने वाला। कायरता से कोई सम्बंध नहीं होता है उसका। उसे जरूरत होती है इलाज की और परिवार के साथ और प्रोत्साहन की। श्रद्धाँजलि।

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  2. प्रश्न चिह्न उठाती रचना।
    दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजसलि।

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  3. सुधा जी



    आपकी पीड़ा महसूस हो रही है , सवाल भी सही है
    मगर

    अवसाद इक सत्य है कटु सत्य ,

    मगर इस समाज और दुनिया से आस करना ये इक मूर्खता -ये भी इक सत्य है।



    खुद को अपने प्रियजनों को, बच्चों को सिखाना होगा, सीखना होगा , खुद को सबल बनाना होगा ,



    बस लोग ये समझ ले की दूसरों को दुःख ना दें , दुनिया की आधी मुसीबतें कहता हो जाए





    सोच को मज़बूर करने देने वाली रचना

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  4. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (16-6-2020 ) को "साथ नहीं कुछ जाना"(चर्चा अंक-3734) पर भी होगी,

    आप भी सादर आमंत्रित हैं।

    ---

    लिंक खुलने में समस्या हुई इसकेलिए क्षमा चाहती हूँ ,मैंने अब सुधार कर दिया हैं।

    कामिनी सिन्हा



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  5. अत्यंत दुखद एवं स्तब्ध कर देने वाला प्रसंग ! सुशांत अच्छे कलाकार थे !

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  6. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी .
    सादर

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