हे गणपति, हे गणराया।
समझ न पाए, कोई तेरी माया ।1।
शिव पार्वती के, तुम हो दुलारे ।
शीश पे सोहे, मुकुट तुम्हारे।2।
प्रथम देव तुम, पूजे जाते ।
पाँव तुम्हारे, नूपुर सुहाते ।3।
सारा जग करता, है तेरा ही वंदन ।
सह नहीं सकता, तू भक्तों का क्रंदन ।4।
डिंक मूषक की, तू करता सवारी।
कष्टों को तू, हरता हमारी ।5 ।
हे लंबोदर, हे बुद्धि दायी।
विनायका, है तू वरदायी ।6।
चंद्र भाल तेरे, खूब है सुहाता ।
गज वदना तू, भाग्य विधाता ।7।
सुर, मुनि, सज्जन, तुझको पूजे ।
तेरा ही नाम, इस जगती में गूँजे।8।
पिंगल नैना, वज्रांकुश है कर ।
धूम्र वर्ण शुचि , शुंड विशाल धर।9।
मुक्ता हार तेरे , कंठ में साजे।
सारे जग में तेरा, मंगल बाजे ।10।
छवि है तुम्हारी, अति मनभावन।
उद्भव तुम्हारा, है मंगल पावन।11।
रिद्धि और सिद्धि का, तू है स्वामी ।
कण - कण में, तू ही अन्तर्यामी ।12।
दूर्वा तुमको, अति मन भाए ।
वेश पीताम्बर, तुमको सुहाए ।13।
भादों चौथ का, जन्म तुम्हारा ।
सब दुखियों का, तू एक सहारा ।14।
आरती तेरी, प्रभु मैं गाऊँ ।
लड्डू और मेवा का, भोग लगाऊँ ।15।
पूरण इच्छा, तुम करते हो ।
आदि देव देवा , प्रणव तुम्हीं हो ।16।
शुभ और लाभ, तनय तुम्हारे ।
दाता तुम, हम दास तुम्हारे ।17।
मोदक तुझको, अति प्रिय देवा ।
करूँ दिन रात मैं, तेरी ही सेवा ।18।
एकदंता हे, चार भुजा धारी ।
आए हैं हम, शरण तुम्हारी ।19।
ज्ञानवान देवा , हमको बना दे ।
मग सच्चाई का, हमको दिखा दे ।20।