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रविवार, 1 नवंबर 2020

जी करता है... नवगीत

 


जी करता है बनकर तितली 

उच्च गगन में उड़ जाऊँ 

बादल को कालीन बना कर 

सैर चांद की कर आऊँ 


दूषित जग की हवा हुई है 

विष ने पाँव पसारे हैं 

अँधियारे की काली छाया 

घर को सुबह बुहारे है 


तमस रात्रि को सह न सकूँ अब 

उजियारे से मिल आऊँ 

बादल को कालीन बना कर 

सैर चांद की कर आऊँ 


अपने मग के अवरोधों को

ठोकर मार गिराऊँगी

शक्ति शालिनी दुर्गा हूँ मैं 

चंडी भी बन जाऊँगी 


इसकी उसकी बात सुनूँ ना

मस्ती में बहती जाऊँ 

बादल को कालीन बना कर 

सैर चांद की कर आऊँ 

शुक्रवार, 29 मई 2020

शिव शंकर ,हे औघड़दानी (भजन)

भजन (16,14)


शिव शंकर ,हे औघड़दानी
बेड़ा पार करो मेरा।
भव अम्बुधि से, पार है जाना, 
अब उद्धार करो मेरा।। 

काम, क्रोध, व लोभ में जकड़ा, 
मैं   मूरख  , अज्ञानी हूँ ।।
स्वारथ का पुतला हूँ भगवन
मैं पामर अभिमानी हूं।।

भान नहीं है, सही गलत का,
करता  मैं, तेरा मेरा।
शिव शंकर ,हे औघड़दानी
बेड़ा पार करो मेरा।।

माया के चक्कर में उलझा 
मैंने कइयों पाप किये ।
लोगों पर नित दोष मढ़ा अरु 
कितने ही आलाप किये ।।

जनम मरण के छूटे बंधन 
मिट जाए शिव अंधेरा।
शिव शंकर ,हे औघड़दानी
बेड़ा पार करो मेरा।।

 मैं याचक तेरे द्वारे का 
भोले संकट दूर करो ।
क्षमा करो गलती मेरी शिव 
अवगुण मेरे चित न धरो ।।

रहना चाहूँ शरण तुम्हारी 
रुद्र बना लो तुम चेरा।
शिव शंकर ,हे औघड़दानी
बेड़ा पार करो मेरा।।

दुष्टों से पीड़ित यह धरती  
करती भोले त्राहिमाम ।। 
व्यथित हृदय को उसके समझो 
प्रभु लेती तुम्हारा नाम ।।

हे सोमेश्वर ,हे डमरूधर  
कष्टों ने आकर घेरा ।
शिव शंकर ,हे औघड़दानी
बेड़ा पार करो मेरा।।

रविवार, 3 नवंबर 2019

आस.... (विधा :गीत )




आस
आस 
विधा :गीत
 दिनांक :2.11.19
 विषय :आस


 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।
 मन उजाला भर गया, और धुंध भी छटती रही ।।

 वो मिलेगा एक दिन, चाहा था जिसको ऐ सखी ।
 थाम कर उम्मीद का दामन, चली मैं उस गली ।।
पांँव में छाले पड़े, और याद में तिल - तिल जली।
पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 उनकी मीठी बातों ने, पल पल हँसाया था मुझे ।
 ख्वाबों ने आ आके, नींदों में जगाया था मुझे।।
 जिन्दगी सुख दुख के पंखे, से सदा झलती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।

 आज खुशियों के गगन में, सुख का सूरज है उगा।
 निविड़ तम को भेद करके, भोर भी है अब जगा।।
 प्रिय मिलन की प्यास मेरी , आज है बुझती रही।
 पलकों में सपने सजाए, आस मन पलती रही ।।


 सुधा सिंह 🦋 

रविवार, 27 अक्तूबर 2019

खुशियांँ अनलॉक करो(दिवाली गीत )



पैक हुई लाॅकर मे, खुशियाँ अनलॉक करो।
पैक हुई लाॅकर मे, खुशियाँ अनलॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो रॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो रॉक करो।

आई है दिवाली देखो जगमग संसार है... ,
हाँ जगमग संसार है।
हर ओर दीप जले , प्यारा त्योहार है....
हाँ ये प्यारा त्योहार है।
हंसो, गाओ, खेलो, कूदो और थोड़ा माॅक करो।
हंसो, गाओ, खेलो, कूदो और थोड़ा माॅक करो।

पैक हुई लाॅकर मे, खुशियां अनलॉक करो।
पैक हुई लाॅकर मे, खुशियां अनलॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो राॅक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो राॅक करो।

चकली खाओ, चिवडा खाओ, फूलझड़ी भी खूब जलाओ।
हाँ फूलझड़ी भी खूब जलाओ।
अंधियारे दिलों में भी प्रेम की एक लौ जलाओ।
हाँ प्रेम की एक लौ जलाओ।
बंद दरवाजे पर खुशियों संग नाॅक करो।
बंद दरवाजे पर खुशियों संग नाॅक करो।

पैक हुई लाॅकर मे, खुशियां अनलॉक करो।
पैक हुई लाॅकर मे, खुशियां अनलॉक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो राॅक करो।
बुझे , बुझे मत रहो, थोड़ा तो राॅक करो।


गुरुवार, 25 अप्रैल 2019

हे साईं... साईं वंदना


हे साईं.. हे साईं... 
तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं - 2
मोहपाश में फँसा हूँ मैं
मेरा कर दे तू उद्धार.... हे साईं.. हे साईं - 2

तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं  - 2

दुखियों का तू तारण हारा. - 2
जन जन पर तेरा अधिकार... हे साईं.. हे साईं
तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं

भूख ग़रीबी लाचारी में
जीवन मेरा बीत रहा है
मन की आशाओं का घट भी
साईं अब तो रीत रहा है
न मुझको यूँ दुत्कार.... हे साईं.. हे साईं

तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं

भटक रहा हूँ दर दर मैं तो
सभी पराए लगते अब तो
मुझको तू दाता अपना ले
है तू ही मेरा करतार... हे साईं.. हे साईं

तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं

तेरी चौखट पर आया हूँ
मन मुरादें मैं लाया हूँ
खाली झोली भर दे मेरी
कर दे तू उपकार... हे साईं.. हे साईं

तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं

तू कर दे बेड़ा पार.... हे साईं.. हे साईं
मोहपाश में फँसा  हूँ मैं
मेरा कर दे तू उद्धार.... हे साईं.. हे साईं - 2

हे साईं... हे साईं .... हे साईं..... हे साईं
मेरा कर दे तू उद्धार.... हे साईं .. हे साईं- 2