मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

अबकी केवल खुशियाँ लाना

Abki kewal khushiyan lana

अबकी केवल खुशियाँ लाना.....

नया वर्ष तेरे आगत में,
खड़े हैं हम तेरे स्वागत में,
शोक, निराशा, दुख की बदरी,
असफलता ,रोगों की गठरी,
खोद के माटी तले दबाना।
अबकी केवल खुशियाँ लाना।।

नया हर्ष ,उत्कर्ष नया हो।
नए भोर का स्पर्श नया हो।
मुरझाईं कलियाँ न हों।
अंधियारी गलियाँ न हों।
निविड़ तमस का शोर मिटाना।
अबकी केवल खुशियाँ लाना।

छुआछूत का भेद मिटे।
भाईचारा प्रेम बढ़े।।
मार -काट ,दंगे नहीं होवें।
कोई भूखे पेट न सोवे।।
मन में तुम सौहार्द्र जगाना।
अबकी केवल खुशियाँ लाना।।


शिखर प्रतिष्ठा शान मिले।
सबको उचित सम्मान मिले।।
पग -डग सबके हो आसान।
मन में तनिक न हो अभिमान।।
माया मोह और दम्भ मिटाना।
अबकी केवल खुशियाँ लाना।।

मेरे परम सनेही  साथियों व सभी भाई बंधुओं को
नव वर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनाएँ।

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

सुधा की कुंडलियाँ-4

सुधा की कुंडलियाँ


21:बिंदी::

जगमग भाल चमक रहा, टीका बिंदी संग।
मीरा जोगन हो गई, चढ़ा कृष्ण का रंग।।
चढ़ा कृष्ण का रंग , कृष्ण है सबसे प्यारा।
छान रही वनखंड,लिए घूमे इकतारा ।।
छोड़ा है रनिवास,बसा कर कान्हा रग रग।
तुम्बी सोहे हस्त ,भाल टीके से जगमग।।
                 

22:डोली::

डोली बैठी नायिका, पहन वधू का वेश।
कई स्वप्न मन में लिए,चली पिया के देस।।
चली पिया के देस,भटू अब नैहर छूटा।
माँ बाबा से दूर, सखी से नाता टूटा।।
जाने कैसी रीत, सुबक दुल्हनिया बोली।
लगी सजन से लगन,स्वप्न बुन बैठी डोली।।


23:जीवन ::

मानव योनि जन्म मिला,कर इसका उपयोग।
जीवन व्यर्थ न कीजिये, कर लीजे कुछ योग।।
कर लीजे कुछ योग,आज मानवता रोती।
हिंसा करती राज,बीज नफरत के बोती।।
सुधा विचारे आज, बना मनुष्य क्यों दानव।
जिंदगी हो न व्यर्थ,तुष्ट हो मन से मानव।।


24:उपवन::

माता जैसे पालती,  खून से प्यारे लाल।
माली उपवन सींचता , नियमित रखता ख्याल।।
नियमित रखता ख्याल, फूल डाली पर खिलते।
चुनता खर पतवार, हस्त कंटक से छिलते।।
कहे सुधा सुन आज, बाग माली का नाता।
माली उपवन संग,यथा बालक अरु माता।।

25:कविता::

कविता मन की संगिनी, कविता रस की खान ।
कवि की है ये कल्पना, जिसमें कवि की जान ।।
जिसमें कवि की जान,स्नेह के धागे बुनता।
आखर आखर जोड़,भाव उर के व‍ह चुनता ।।
सुनो सुधा है काव्य ,तमस विलोपती सविता।
दग्ध हृदय उद्गार,सहचरी हिय की कविता।।

 26:ममता::

ममता माया में मढ़ी,मानो माँ का मोल।
महिधर महिमा में झुके,महतारी अनमोल।।
महतारी अनमोल ,न माँ की करो अवज्ञा ।
रख लो माँ का मान,चला लो अपनी प्रज्ञा।।
सुनु सुधा समझावति, मात की समझो महता।
माँ सम महा न कोय,नहीं माता सी ममता।।


बुधवार, 25 दिसंबर 2019

माटी मेरे गाँव की..

माटी मेरे गाँव की 
विधा :मुक्त गीत

माटी मेरे गाँव की, मुझको रही पुकार।
क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।।

बूढ़ा पीपल बाँह पसारे ।
अपलक तेरी राह निहारे।।
अमराई कोयलिया बोले।
कानों में मिसरी सी घोले।।
ऐसी गाँव की माटी मेरी
तरसे जिसको  संसार।।

क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।।

स्नेहिल रस की धार यहाँ।
मलयज की है बहार यहाँ।।
नदिया की है निर्मल धारा।
शीतल जल है सबसे प्यारा।।
भोरे कुक्कुट बांग लगाए
मिला सहज उपहार ।।

क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।।

माँ अन्नपूर्णा यहाँ विराजें।
ढोल मंजीरे मंदिर बाजे।।
खलिहानों में रत्न पड़े हैं।
हीरे - मोती खेत जड़े हैं।।
मन की दौलत पास हमारे
है सुंदर व्यवहार।

क्यों मुझको तुम भूल गए आ जाओ एक बार।।

पुकारती पगडंडियाँ।
इस ओर फिर कदम बढ़ा।।
माटी को आके चूम लो।
एक बार गांव घूम लो।।
हम अब भी अतिथि को पूजें
हैं ऐसे संस्कार।।

क्यों मुझको तुम भूल गए, आ जाओ एक बार।।

मैं लिखता रहा और मिटाता रहा....

विषय::विरह गीत
विधा:मुक्त छन्द
धुन:कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़ दे, तड़पता हुआ.....

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत ,गाता रहा।

यादें तुम्हारी ,जब जब भी आई
तुम्हारा ही अक्स ,मुझको देता दिखाई
सनम क्यों मुझे , छोड़ तुम चल दिये
लौट आओ सदायें, मैं देता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

फिजाएं लिपट ,मुझसे रोती रही
बहारों से अब, बात होती नहीं
मिलेगा सजन, फिर किसी मोड़ पर
ख्वाब जीवन मुझे, ये दिखाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।

नाजुक सी तुम ,एक कली थी प्रिये
हम जिये थे सनम, बस तुम्हारे लिए
तुम्हारे बिना, वक्त कट जाएगा।
खुद को झूठा, दिलासा, दिलाता रहा।

मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।
मैं लिखता रहा, और मिटाता रहा।
जीवन के हर गीत गाता रहा।




मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

सुधा की कुंडलियाँ-3

कुंडलियाँ
15:
वेणी ::
बालों की वेणी बना,कर सोलह श्रृंगार ।
डोली बैठी गोरिया ,चली पिया के द्वार।।
चली पिया के द्वार, नयन में स्वप्न सजाए।
बाबुल दे आशीष ,लेत हैं सखी बलाएँ।।
आँगन सूना छोड़,उड़ी चिड़िया डालों की।
चलत घूँघटा ओढ़ ,बना वेणी बालों की।।

16:
कुमकुम ::
महता कुमकुम की बड़ी, कुमकुम करता राज।
शुभ कारज कोई न हो,होय न मंगल काज।।
होय न मंगल काज, यही सौभाग्य बुलाता।
नारी के भी माथ,माँग कुमकुम इठलाता।।
विजय तिलक की बात,वेद पुराण भी कहता।
सजा ईश के भाल ,सुनो कुमकुम की महता।।



17:
काजल::
काजल आँखों में लगा , बिंदी चमके माथ।
मांगटीका भाल सजा , मिला पिया का साथ ।।
मिला पिया का साथ ,सखी री ढोल बजाओ।
आई द्वार बरात ,सुनो सब मंगल गाओ।।
कहे सुधा सुन आलि,आँख से बरसे बादल।
सखी दुआ दें आज , आँख का झरे न काजल।।


18:
गजरा::
अलकों में महकन लगा,देखो गजरा आज।
पहनी धानी चूनरी, ओढ़ शरम अरु लाज।।
ओढ़ शरम अरु लाज, इत्र है छिड़का चंदन।
लाल हुए हैं गाल, हाथ में बाजे कंगन ।।
लगा महावर पाँव, स्वप्न पाले पलकों में।
बनी वधू वह आज,लगा गजरा अलकों में।।

19:
पायल ::
बाजे पायल सुर सजे,राम लला के पाँव।
लाड़ करती कैकेयी,मोहित सारा गाँव।।
मोहित सारा गाँव,रूप प्रभु का है प्यारा।
कौशल्या दे स्नेह,सबहि के राम दुलारा।
शोभित अतुलित कांति,कमर करधनिया साजे।
सोहे कुंडल कर्ण, पाँव पैजनिया बाजे।।


20:
कंगन ::
पहने कंगन हाथ में,पायलिया है पाँव।
नागिन जैसी वो चले, देखे पूरा गांव।।
देखे पूरे गाँव, नयन मोहक कजरारे।
दिवस हो गई रात ,घेरि आये बदरा रे।
हैं संदल से गात,सुखद सूरत क्या कहने।
मलमल से हैं गाल, हाथ में कंगन पहने।।

शनिवार, 21 दिसंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे:2




12:अग्निपथ:
अग्निपथ बनी जिंदगी, बढ़ ढाँढस के साथ।
डरकर रुक जाना नहीं, तिलक लगेगी माथ।।


13:अहंकार:
अहंकार मत पालिए,यह है रिपु समरूप।
अपनों से दूरी बढ़े,है यह अंधा कूप।।


14:अनुभव:
अनुभव सम शिक्षक नहीं,मान लीजिए बात।
सच्चा पथदर्शक यही,यह न करे प्रतिघात।।


15:जलधि:
खारा पानी जलधि का,तृष्णा करे न शांत।
जाए दरिया कूल तो,रहे न कोई क्लांत।।


16:प्रतिकार
अनुचित बात न मानिये,करिये जी प्रतिकार।
साथ रहे आदर्श तो ,भव सागर हो पार ।।


सुधा की कुंडलियां-2




10::दीपक:
दीपक सम जलता रहा,भारत राष्ट्र महान।
उगे प्रवर्तक तिमिर के ,भेज रहे तूफान ।।
भेज रहे तूफान, देश से करें द्रोह ये।
आगजनी पथराव,कर रहे स्वार्थ मोह से।।
कहे सुधा कर जोड़,बनें स्वदेश के रक्षक
रहे प्रज्वलित ज्योत,जलें हम जैसे दीपक।।

   11:कजरा::
आँखों में कजरा लगा,मन ही मन मुसकात।
प्रीत मगन अभिसारिका,पिया मिलन को जात।।
पिया मिलन को जात,महावर पाँव लगाए। 
बिंदी चूड़ी पहन,नवेले स्वप्न सजाए।। 
सखे सुधा खुश आज,सजन तेरा लाखों में 
 सदा रहे सम्पन्न , खुशी चमके आँखों में।।

 12:आँचल ::
 माँ के आँचल सा सखी, जग में वसन न कोय।
 ममता ऐसे है बहे,बहता जैसे तोय।। 
बहता जैसे तोय, पुत्र की विपदा हरती।
 बालक रहे प्रसन्न,सदैव प्रार्थना करती।। 
कहे सुधा रख ध्यान,समीप न पीड़ा झाँके। 
रहे सदा खुश मात,पास रहना तुम माँ के।।

  13:झुमका: :
 सोहे झुमका कान में,पायल शोभित पाँव। 
गोरी छन छन जब चले निरखे पूरा गाँव।। 
निरखे पूरा गाँव, गात जिसके हैं चंदन । 
रूप सलोना देख, मदन रति करते क्रंदन।।
खेलत कुंतल संग ,लगावे पल पल ठुमका।
 हौले चूम कपोल ,कान में शोभे झुमका।। 

14: चूड़ी::
 चूड़ी पहने राधिका, केशव रही रिझाय । 
देख मनोहर कांति को,श्रीराधे शरमाय।। 
श्रीराधे शरमाय,कभी जल में छवि निरखे 
सुन कान्हा की वेणु ,राधिका का हिय हरखे।। 
संग बांसुरी कृष्ण,रूप सुंदर क्या कहने ।
रम्या प्रेमिल मूर्ति , रिझाती चूड़ी पहने।।