नवगीत(16,14)
बीत गई पतझड़ की घड़ियाँ
बहार ऋतु में आएगी
पेड़ों की मुरझाई शाखें
अब खिल खिल मुस्काएँगी
नवकिसलय अब तमस कोण से
अँगड़ाई जब जब लेगा
अमराई के आलिंगन में
नवजीवन तब खेलेगा।
कोकिल भी पंचम स्वर में फिर
अपना राग सुनाएगी
पेड़ों की मुरझाई शाखें
अब खिल खिल मुस्काएँगी
सतगुण हो संचारित मन में
दीप जले फिर आशा का
तमस आँधियाँ शोर करें ना
रोपण हो अभिलाषा का
पुरवाई लहरा लहराकर
गालों को छू जाएगी
पेड़ों की मुरझाई शाखें
अब खिल खिल मुस्काएँगी
तेरा दुख जब मेरा होगा
मेरा दुख हो जब तेरा
जीवन में समरसता होगी
होगा फिर सुखद सवेरा
हरे भरे अँचरा को ओढ़े
वसुधा भी लहराएगी
पेड़ों की मुरझाई शाखें
अब खिल खिल मुस्काएँगी
सुधा सिंह 'व्याघ्र'
बहुत खूबसूरत सकारात्मकता से परिपूर्ण गीत।
जवाब देंहटाएंस्वप्न सत्य हो, नवभोर खिले जग मुस्काये,
मलिन मुखों से,दुःखपात झरे हिय हयषाये।
बहुत बहुत आभार ...श्वेता! तुम्हें और तुम्हारी टिप्पणी को देख मन सदा आल्हादित हो उठता है!
हटाएंसस्नेह ।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 28 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीया सौभाग्य है कि मंच पर स्थान मिला।बहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंसकारात्मक आशाओं से सिक्त .. सुन्दर बिम्बों से सजा शब्दचित्रण ...
जवाब देंहटाएं( क्षमायाचना सहित आप से एक बात .. कि अगर "कोकिल भी पंचम स्वर में फिर अपना राग सुनाएगी" वाली पंक्ति में "सुनाएगी" की जगह "सुनाएगा" कर दें तो कोई भावी पीढ़ी का युवा भी इस ब्लॉग के वेब-पेज पर आपकी कविता दस-सौ साल बाद भी पढ़े तो उसे ये भूल ना खटके, क्योंकि हमें पता हो या ना हो पर युवा पीढ़ी को पता है कि नर कोकिल/कोयल ही कूकता है या नर मोर ही नाचता है। आगे आपकी इच्छा .. )
सुबोध जी ,प्रतिक्रिया देने के लिए हृदयतल से आपकी आभारी हूँ।आपकी जानकारी/ज्ञान भंडार के लिए मैं आपकी भूरि भूरि प्रशंसा करती हूँ आप सही है निस्संदेह ही नर कोयल ही "कुकू..... उ" की आवाज निकालता है। परंतु मादा कोयल अर्थात कोकिल भी गाती गाती है जो थोड़ी भिन्न होती है औऱ सुनने में मधुर लगती है। मेरे जैसे जिज्ञासु व्यक्ति को आपने आज नवीन (मेरे लिए नवीन)जानकारी दी। शायद और लोगों को भी आपकी टिप्पणी से फायदा होगा।
हटाएंऔर क्षमा याचना न करें इस टिप्पणी के लिए मैं तहदिल से आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। मेरे ब्लॉग पर आपका आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है आपके आने से कुछ तार्किक बातें भी हो ही जाती हैं।
धन्यवाद आपका। सादर नमन
बेहद खूबसूरत नवगीत सखी
जवाब देंहटाएंआपका आना सदा आल्हादित करता है।सस्नेह आभार सखी
हटाएंवाह ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंमीनाजी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद।ब्लॉग पर आपको पाकर बहुत अच्छा लगा ।कहाँ गुम हो गईं थीं सखी।
हटाएंधन्यवाद आदरणीय जोशी सर। आपका एक भी काफी होता है रचना का महत्व बताने के लिए ।अनेकानेक धन्यवाद आपका। सादर🙏🙏
जवाब देंहटाएंसतगुण हो संचारित मन में
जवाब देंहटाएंदीप जले फिर आशा का
तमस आँधियाँ शोर करें ना
रोपण हो अभिलाषा का
बहुत संदर !
जवाब देंहटाएंतहेदिल से आभार आपका आ. शुक्ल जी
हटाएंसुधार-*एक शब्द भी*
जवाब देंहटाएंससकारात्मक सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंपल्लवी मैम आभार।
हटाएंबहुत सुंदर और मनभावन सृजन सुधा जी।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
बहुत बहुत आभार दी।
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया से सदा आंतरिक खुशी मिलती है।
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंउरतल से आभार सखी
हटाएंसकारत्मक भावों से परिपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद दीदी
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