रविवार, 19 जुलाई 2020

कैसे भी हों हालात मगर...


कैसे भी हों हालात मगर ,
सफर अपना जारी रखो।
डगर में मुश्किलें आएंगी कई 
उनसे लड़ने की तैयारी रखो।1।

बढ़ते कदमों को रोकने वाले,
राह में मिल जायेंगे बहुत, 
जो आ सको काम किसी के, 
वो नीयत ,वो दिलदारी रखो।2।

पेट की आग इंसान को 
इंसान रहने देती नहीं,
बाँट लो अपनी रोटी का एक टुकड़ा उससे, खुद को स्वल्पाहारी रखो।3।

सियासत के इस खेल में, 
अपने और पराए ढूँढ पाओगे नहीं,
बस रह जाए साख सलामत अपनी, उतनी तो जानकारी रखो।4।

देखकर दुनिया का चलन 'सुधा ',   अब तो डर लगता है बहुत,
कहीं खत्म न हो जाए इंसानियत थोड़ी उसपे भी पहरेदारी रखो।5।






शनिवार, 11 जुलाई 2020

दोहे-वर्षा ऋतु



1:दादुर: 

दादुर टर- टर बोलते,बारिश की है आस। 
बदरा आओ झूमके, करना नहीं निराश।।
 
2 :हरीतिमा: 

वृक्ष धरा पर खूब हो,  भरे अन्न भंडार ।
हरीतिमा पसरे यहाँ, हो ऐश्वर्य अपार।। 

3:वारिद::

वारिद काले झूमके, करते जब बरसात। 
मोर पपीहा नाचते, हों आह्लादित पात।। 

4:चातक:

ताके चातक स्वाति को, होकर बड़ा अधीर। 
पीकर बूंदे स्वाति की , मिटती उसकी पीर।। 

5:दामिनी :

अम्बर चमके दामिनी, बचकर रहना यार। 
जो उसके मग में पड़े , करती उसपर वार।। 

6:कृषक :
*कृषक* उगाता अन्न है,रखता सबका ध्यान। 
रात दिवस उद्यम करे, मिले न लेकिन मान।। 

7:पछुआ :

जब समीर पछुआ बहे ,गर्मी तब बढ़ जाय। 
पानी की हो तब कमी, लू तन को झुलसाय।।

8:पावस :

तपन बढ़े जब ग्रीष्म से , आए *पावस* झूम। 
पशु पक्षी तब नाचते, मचे खुशी से धूम।। 

9:वृक्षारोपण :

वृक्षारोपण कीजिए, फिर होगा कल्याण। 
खिल जाएगी ये धरा, होगा सबका त्राण।।

10:बरसात :

माह सावन बीत गया,कृषक हुए हैरान। 
बूंद इक भी नहीं गिरी,घर में अन्न न धान।।