मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

दोहे:6



31:ईश्वर:
शुक्ति मध्ये मोती ज्यों, मन माही त्यों राम।
अपने हिय को शोध ले, वही ईश का धाम।।
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32:प्रकृति:
वन उपवन उजाड़ भए,नहीं पथिक को छाँह ।
बिगड़ी सूरत प्रकृति की ,  हमें कहाँ परवाह।।
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33:नैतिकता:
छल बल से कम्पित धरा,भरे मनुजता आह।
निज हित में अंधा मनुज,भूला नैतिक राह।।
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34:छल-कपट:
छल कपट अरु प्रवंचना,  हुई धरा पर व्याप्त ।
हे प्रभु फिर अवतार लो,इनको करो  समाप्त ।।
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35:समय:
गति समय की रुके नहीं, समय बड़ा बलवान।
सबक समय से सीख कुछ,ठहरा क्यों नादान।।
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36:परिवर्तन:
परिवर्तन शाश्वत नियम ,विधि का यही विधान ।
अड़े रहे जो लीक पर ,  वो विस्मृत अनजान ।।
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37:काल:
धीमी की गति काल ने,तू भी थम जा यार।
होड़ काल से क्यों करे,काल बल है अपार।।
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38:धर्म:
धर्म संस्कृति पोषण हित , रुके समय की चाल।
धर्म विरोधी जो बना,     गया काल के गाल।।
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39: संगीत
अनुरागी हिय भाव ही , रचते जीवन गीत।
तज दें कलुषित भाव तो, बज उठता संगीत।।
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40:कर्म
 पश्चाताप न हो कभी, कर ले ऐसे कर्म।
आज किया कल भोगना, जीवन का है मर्म।
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41: वीर 
एक *मनोरथ* है यही, देश रहे खुशहाल।
 बच्चा बच्चा वीर हो, बने देश की ढाल।।
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42: लगन 
कार्य करें जो लगन से , सुगम बने तब राह।
बनें विशारद बुद्धि से , मन में रखें न डाह।।

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बुधवार, 15 अप्रैल 2020

दाग कोरोना काल का..

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# दाग कोरोना काल का

किसी ने कहा था कि
दाग अच्छे हैं!!!
हाँ दाग अच्छे  हैं...
पर तब तक
कि जब तक
जड़ न हो जाएँ..
हमेशा के लिए
किसी रंग को,
बदरंग न कर जाएँ...
किसी के जीवन में
झंझा न भर जाएँ
किन्तु जीव की जीवटता
के आगे किसी का
अस्तित्व कहाँ टीक सका है!!
यह तो अनवरत
प्राकृतिक प्रक्रिया है
इसे चलना है...
जो आया है, उसे जाना है।
ये लिजलिजाता, बदनुमा, भद्दा दाग
जो अद्य सबको अपने पंजों में
जकड़ने को आतुर है
व‍ह भी कब तक
किसी को छका पाएगा
उसे भी तो
जाना ही पड़ेगा।
बस इंतजार है..
तो उस 'सर्फ एक्सेल' का
जो पड़ोसी के दिए
इस भद्दे, विद्रूप दाग का
चिर नाश करेगा
और हम फिर से
आजादी की हवा में
मुक्त साँस ले सकेंगे..

बिना य़ह भूले कि,
"कुछ पड़ोसियों के दाग,
बिलकुल भी अच्छे नहीं होते। "

~सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

सोमवार, 6 अप्रैल 2020

मोहन मधुर बजाओ बंशी...


मोहन मधुर बजाओ बंशी-भजन
मात्रा भार--16, 14
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः
मोहन मधुर बजाओ बंशी,
प्रेम मगन हो इतराऊँ
देख देख पावन छवि तेरी 
मन ही मन मैं शरमाऊँ

अपलक राह तुम्हारी देखूँ
हे कान्हा तुम आ जाओ
टेर सुनो अब मेरी कान्हा 
यूँ मुझको मत तड़पाओ
छेड़ दो दिल के तार हरि ओ 
गीत खुशी के मैं गाऊँ

मैं हूँ जोगन तुम्हरी कान्हा 
तुम भी जोगी बन आओ 
नंदन वन में रास करेंगे 
लीला अपनी दिखलाओ 
बिना तुम्हारे कब तक कान्हा 
उर अन्तर को बहलाऊँ

बाट जोहती पलक बिछा कर
हे कान्हा तुम आ जाओ
माधव नाव फँसी मझधारे
आकर पार लगा जाओ 
हे मुरलीधर, हे सर्वेश्वर 
तुम्हें देख लूँ सुख पाऊँ 


सुधा सिंह 'व्याघ्र' 

रविवार, 5 अप्रैल 2020

अपनी मोहब्बत में...





मोहब्बत में हमें अपनी बेकरार कर लो।
अपने चहेतों में हमें भी शुमार कर लो।।

हम लाख हसरतें लिए बैठे हैं दिल में
अपने जीवन का हमको हकदार कर लो।।

लाख जतन किए हमने मनाने के तुम्हें
कभी तो हमारा तुम ऐतिबार कर लो।।

ये ख्वाहिशें आसानी से मिट नहीं सकती
चाहे कोशिशें तुम बारहा हज़ार कर लो।।

खुलेगा किस्मत का ताला हमारे भी कभी
सनम थोड़ा सा और इंतजार कर लो।।

फायदा ही फायदा है इश्क़ के सौदे में यार
एक बार तो मोहब्बत का कारोबार कर लो





शनिवार, 4 अप्रैल 2020

संध्या की बेला

नवगीत 
मापनी:16,14

बीते मेरे दिवस सुनहरे 
संध्या की बेला आई 
दिन भी क्या दिन थे वे मेरे 
कली कली थी मुसकाई 

1:
रिमझिम रिमझिम बरसातें भी 
माँ सम लोरी गाती थी 
सूरज की गरमी भी तन में 
जोश नया भर जाती थी 
संघर्षों की काली बदली 
मन को डिगा नहीं पाई 

बीते मेरे दिवस सुनहरे 
संध्या की बेला आई 

2:
उसकी मीठी मीठी  बोली 
मिसरी सी घुल जाती थी 
उसके पायल की रुनझुन भी 
दिल घायल कर जाती थी 
सपनों की रानी वो मेरे 
ढूँढू उसकी परछाईं 

बीते मेरे दिवस सुनहरे 
संध्या की बेला आई 

3  :
श्रांत शिथिल बैठा हूँ मैं 
पढ़ता हूँ उसकी पाती 
पथ मैं उसका रोज निहारूँ 
ओह! व‍ह फिर लौट आती 
जीवन की वो साथी मेरी 
कभी नहीं व‍ह घबराई 

बीते मेरे दिवस सुनहरे 
संध्या की बेला आई 

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2020

तुझे माना खुदा अपना

गीत 
 मापनी 14, 15


तुझे माना खुदा अपना 
तू ही मेरा सितारा है 
बिना तेरे नहीं जीना  
मेरे दिल ने पुकारा है 

1:
तुझे चाहा तुझे पूजा 
तेरी ख्वाहिश सदा की है 
तेरे ही वास्ते मैंने 
सदा रुसवाईयां ली हैं
फँसी है नाव तूफ़ाँ में 
तू ही मेरा किनारा है 

2:
नहीं तुझसे जुदा होना 
मेरे दिल ने यही ठाना 
कभी मत छोड़ कर जाना 
मैंने सबकुछ तुझे माना 
मिरी खातिर ज़मीं पर ही 
खुदा ने तुझे उतारा है 

3:
अब तलक तो हम अकेली 
राहों में ही भटकते थे 
आँसुओं की बारिशों में 
सदा ही भीगा करते थे 
कि इस जालिम जमाने से 
इश्क़ हरदम ही हारा है 













बुधवार, 1 अप्रैल 2020

प्रभु राम :कुंडलियाँ

 कुंडलियाँ :30

सुख की गागर वे भरे,भरें वही भंडार।
राम नाम जपते रहो, राम करें उद्धार।।
राम करें उद्धार, जानकी वल्लभ मेरे।
दशरथ सुत सुख धाम,मिटाएँ कष्ट घनेरे।।
कहे सुधा जप नाम,छाए न बदरी दुख की
कर दें बेड़ा पार, पयोधि राम हैं सुख की। 

ठहराव


जरूरी है ठहराव भी ..
ऐ दोस्त थोड़ा ठहर जाया करो..

सबसे इतनी नाराजगी क्यों है
मानव सेवा भी तो बंदगी है
मानवता में सिर झुकाया करो
केवल मंदिर मस्जिद ही न जाया करो

ऐ दोस्त...
माना कि चलना जरूरी है
फिर भागने की क्यों होड़ लगी है
संघर्षों का नाम ही जिंदगी है
जिन्दगी को झुठलाया न करो

ऐ दोस्त...
ये छिन कभी रुकते नहीं
जो अकड़ते हैं झुकते नहीं
जरूरी है हर मुद्रा अच्छी सेहत के लिए
कभी पीछे भी मुड़ जाया करो


ऐ दोस्त... 
थोड़ा रुको, थोड़ा सम्भलो,
चैन की थोड़ी साँस भी ले लो
खूबसूरत है जिन्दगी, एहसास तो लेलो
यूँ मन ही मन बुदबुदाया न करो

ऐ दोस्त...