विधा:कुंडली/दोहा
आता है जब नौतपा ,बचकर रहना यार ।
तपे अधिक तब यह धरा, सुलगे है संसार।।
सुलगे है संसार, रोहिणी में रवि आते।
लूह चले नौ वार ,घमौरी गात जलाते।।
सुनो सुधा की बात, ठंडई हमें बचाता।
करो तृषित जल दान, नौतपा जब भी आता।।
दोहा:
ज्येष्ठ मास जब रोहिणी , सूर्य करे संचार।
नौ दिन वसुधा पर बढ़े ,गरमी अपरंपार।।
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