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शुक्रवार, 17 मई 2019

लक्ष्य साधो..


लक्ष्य साधो हे पथिक,
हौसला टूटे नहीं।
कठिन है डगर मगर, 
मंजिल कोई छूटे नहीं।।

गिरोगे सौ बार पर, 
स्मरण तुम रखना यही।
यत्न बिन हासिल कभी, 
कुछ भी तो होता है नहीं।।

पग पखारेगा वो पथ भी, 
जो निराश न होगे कभी।
काम कुछ ऐसा करो, 
मंजिल उतारे आरती।।

संग उसको ले चलो,
जो पंथ से भटका दिखे।
क्लांत हो, हारा हो गर वो, 
साथ देना है सही।।

वृक्षों की छाया तले, 
सुस्ताना है सुस्ता लो तुम।
पर ध्येय पर अपने बढ़ो, 
रुकना नहीं हे सारथी।।

Motivational poem : मना है....


सोमवार, 28 जनवरी 2019

पथिक अहो...



पथिक अहो.....
मत व्याकुल हो!!!
डर से न डरो
न आकुल हो।
नव पथ का तुम संधान करो
और ध्येय पर अपने ध्यान धरो ।

नहीं सहज है उसपर चल पाना।
तुमने है जो यह मार्ग चुना।
शूल कंटकों से शोभित
यह मार्ग अति ही दुर्गम है ।
किंतु यहीं तो पिपासा और
पिपासार्त का संगम है ।

न विस्मृत हो कि बारंबार
रक्त रंजित होगा पग पग।
और छलनी होगा हिय जब तब।

बहुधा होगी पराजय अनुभूत।
और बलिवेदी पर स्पृहा आहूत।

यही लक्ष्य का तुम्हारे
सोपान है प्रथम।
इहेतुक न शिथिल हो
न हो क्लांत तुम।

जागृत अवस्था में भी
जो सुषुप्त हैं।
सभी संवेदनाएँ
जिनकी लुप्त हैं।
कर्महीन होकर रहते जो
सदा - सदा संतप्त हैं ।
न बनो तुम उनसा
जो हो गए पथभ्रष्ट हैं ।

बढ़ो मार्ग पर, होकर निश्चिंत।
असमंजस में, न रहो किंचित।
थोड़ा धीर धरो, न अधीर बनो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।

पथिक अहो, मत व्याकुल हो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।

सुधा सिंह 📝