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शनिवार, 21 दिसंबर 2019

कुछ जीवनोपयोगी दोहे:2




12:अग्निपथ:
अग्निपथ बनी जिंदगी, बढ़ ढाँढस के साथ।
डरकर रुक जाना नहीं, तिलक लगेगी माथ।।


13:अहंकार:
अहंकार मत पालिए,यह है रिपु समरूप।
अपनों से दूरी बढ़े,है यह अंधा कूप।।


14:अनुभव:
अनुभव सम शिक्षक नहीं,मान लीजिए बात।
सच्चा पथदर्शक यही,यह न करे प्रतिघात।।


15:जलधि:
खारा पानी जलधि का,तृष्णा करे न शांत।
जाए दरिया कूल तो,रहे न कोई क्लांत।।


16:प्रतिकार
अनुचित बात न मानिये,करिये जी प्रतिकार।
साथ रहे आदर्श तो ,भव सागर हो पार ।।


शनिवार, 17 दिसंबर 2016

ये झुर्रियाँ..।


ये झुर्रियाँ..।


ये झुर्रियाँ मामूली नहीं,
ये निशानी है अनुभवों की।
इन्हें अपमान न समझो
कोने में पड़ा कूड़ा नहीं ये,
इन्हें घर का मान और सम्मान समझो।

हर गुजरे पल के गवाह है ये,
इन्हें  बेकार  न समझो।
चिलचिलाती धूप में छांव है ये,
इन्हें अंधकार न समझो।

ये पोपले चेहरे कई कहानियां कहते है,
सीख लो इनसे कुछ।
इन्हें पुराना रद्दी  या अख़बार न समझो


उंगली पकड़ कर चलना सिखाया था जिसने  कभी ,
इन्हें अपनी राह का रोड़ा, कभी  यार न समझो।

मिलेगा प्यार और दुलार, इनके पास बैठो ।
इन्हें सिर्फ झिकझिक और तकरार न समझो।


बूढी लाठी जब चलती है, अपनो से ठोकर खाती है।
बन संबल इनके खड़े रहो ,
इन्हें धिक्कार न समझो।

माना कि बूढ़े ,कपकपाते हाथों में, अब वो जान नहीं ।
पर  जब उठेंगे ,देंगे ये आशीष ही, हर बार समझो।

ये हमारी पूँजी हमारी धरोहर है
इन्हें संभालो ,इन्हें संजोओ,
इन्हें धन दौलत से नहीं,
बस तुम्हारे प्यार से सरोकार है समझो।

डूबता ही सही, पर याद रखो सूरज हैं ये
ढलेंगे तब भी आकाश में ,
अपनी लालिमा ही बिखेरेंगे याद रखो।