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शनिवार, 29 जून 2019

तलब...

ख्वाहिशें, khwahish
तलब

सितारों के आगे जहाँ खोजता हूँ ।
मैं धरती पर अपना मकां खोजता हूँ।। 

वो गुम है, मैं जिसका तलबगार हूँ ।
मैं हर शय में अपना खुदा खोजता हूँ ।। 

यूँ तो मुझमें ही खुशबू समाई है उनकी। 

मैं मानिंद-ए-ग़ज़ाल कस्तूरियां खोजता हूँ ।। 

दर्द किस्मत में मेरी कितना लिखा है ।
मैं उस दर्द की इन्तेहाँ खोजता हूँ ।। 

नाउम्मीदी ने इश्क में लताड़ा बहुत है। 

फिर भी उम्मीदों का आसरा खोजता हूँ।। 

जाम- ए - मोहब्बत में तिरता रहूं मैं ।
ऐ साकी मेरे मयकदा खोजता हूँ।। 

उल्फत की बातें पुरानी हुई अब ।
इश्क में फिर भी मैं तो, वफ़ा खोजता हूँ।।