रविवार, 5 जनवरी 2020

हायकू


हायकू-
घना कुहरा~
लाठी टेके चलता
बूढ़ा आदमी!

अँधेरी रात~
दूर से आती
झींगुरों की आवाज।

भोर की लाली~
चूल्हे पर खौलती
गुलाबी चाय।

जोर की आँधी~
कपड़े उतारती 
डोरी से गोरी।

तेज बारिश~
पेड़ के नीचे कुत्ता
कंपकपाता 








11 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. धन्यवाद ऋतु जी।शायद इतने सुहावने वातावरण का कमाल है।������

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  2. हाइकु तो ठीक है, पर तुम्हारी कविता अत्यधिक प्रभावशाली होती है। उसे मत भूलना। हम भारतीय हैं और यही हमारी मूल शैली है।
    शुभकामनाओं सहित । एक भाई।

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    उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद भाई।डाँटने के लिए ही सही आप ब्लॉग पर आए तो।

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    2. पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी हाइकु से वैर भाव इसलिए कि वो जापान से आयातित है... हम तो मानते हैं कि "जब वेद में 5 वर्ण और 7 वर्ण की ऋचाएं हैं तो बौद्ध धर्म के साथ जापान जाकर पुन: भारत आगमन हुआ है...

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (06-01-2020) को 'मौत महज समाचार नहीं हो सकती' (चर्चा अंक 3572) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित हैं…
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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