ओ मेरी प्यारी मइया
तुम धूप में हो छइयांँ
तुम ही मेरी खुशी हो
तुम जिन्दगी मेरी हो
गर्मी से तुम बचाती
सर्दी से तुम बचाती
तुम अलाव सी गुनगुनी हो
किस मृदा से बनी हो
गीला किया जो मैंने
छाती लगाया तुमने
तर भाग में तुम सोई
करुणा से तुम भरी हो
हर हाल में मैं खुश हूं
मुझे आसरा तुम्हारा
हूँ कृष्ण- सा मैं चंचल
तुम यशोदा मांँ मेरी हो
मुझे भूख जो लगी तो
मुझको खिलाया पहले
तुम पानी पीकर रह ली
ममता से तुम बनी हो
आंचल की अपनी छाया
मुझपर सदा ही रखना
मत खिन्न होना मुझसे
तुम देवता मेरी हो
वाह भावमय करती अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार आदरणीया सीमा जी 🙏 🙏
हटाएंकोमल वात्सल्य भरी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कुसुम दी 🙏 🙏 🙏
हटाएंBeautiful lines dedicated to motherhood ��
जवाब देंहटाएंThank you.
हटाएंPls disclose ur identity. 🙏 How should I refer u???
Lajwab 👌👌👌
जवाब देंहटाएंThank you so much Neetu 🙏🙏
हटाएंबहुत ही बेहतरीन..भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार अनुराधा जी
हटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंमाँ और शिशु के सहज एवं शाश्वत प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति करती रचना
बेहतरीन सृजन
🙏🙏🙏
रवींद्र जी अनेकानेक धन्यवाद 🙏
हटाएंVery good poem on motherhood
जवाब देंहटाएंThank you sir
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