सुनो बटोही,
तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है।
बहु बाधा, बहु विघ्नों से, तुम्हें निर्भय टकराना है।
ये जीवन, हर पल खुशियों और दुख का ताना बाना है।
कभी उठाओगे तुम किसी को, तो कभी किसी को तुम्हें उठाना है ।।
सुनो बटोही,
काल की हर क्रीड़ा से तुम्हें सामंजस्य बिठाना है ।
इस चक्र में गिरना है , संभलना है।
हर उम्र एक पड़ाव है , रुकना, सुस्ताना है।
कटीबद्ध हो फिर, कर्मपथ पर आगे बढ़ जाना है।।
सुनो बटोही,
मष्तिष्क में कौंधते मिथ्या भावों के जालों को तुम्हें सुलझाना है।
निविड़ तिमिर में तुम्हें हौसलों की मशाल जलाना है।
सम्पूर्ण निष्ठा से रहट बन अनवरत अपना धर्म निभाना है।
पतझड़ में तुम्हें आशाओं के फूल खिलाना है।।
सुनो बटोही,
तुम मुसाफिर हो, तुम्हें चलते ही जाना है...
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (04-05-2019) को "सुनो बटोही " (चर्चा अंक-3325) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अनीता सैनी
प्रिय अनिता जी चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया 🙏 🙏 🙏
हटाएंसुंदर और संदेशप्रद, सकारात्मक सोच को दर्शाती रचना
जवाब देंहटाएंसहृदय आभार मीनाजी 🙏🙏
हटाएंबहुत सुंदर संदेशपूर्ण रचना दी...वाहह्ह्ह👌
जवाब देंहटाएंआभार प्रिय श्वेता ❤️
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंआभार मौन जी. सादर 🙏
हटाएंबहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंअन्यथा न लें तो "क्रिड़ा" को "क्रीड़ा" कर लें
वर्मा जी समीक्षा के लिए अतीव आभार. शुक्रिया कि आपने अशुद्धि की ओर मेरा ध्यान आकर्षित किया. टंकण में गलती रह गई थी.स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर.सादर 🙏🙏
हटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार मई 05 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशोदा दी 'पाँच लिन्कों का आनंद' में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार। दरअसल यह रचना मैं सोमवरीय विशेषांक 'निष्ठा' के लिए भेजना चाहती थी।परंतु कोई हर्ज नहीं, मैं दूसरी रचना भेज दूँगी. 🙏 🙏 🙏 सादर नमन दी
हटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुराधा जी. सादर 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा अभिव्यक्ति अलहदा अंदाज।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
आदरणीय कुसुम दी, आपकी मन की वीणा से सदैव मधुर स्वर निकलते हैं. रचना को प्यार देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया दी 🙏
हटाएंवाह बहुत सुन्दर हौसला बढ़ाती आशा वादी रचना ।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम लेखन सुधा जी।
सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसस्नेह आभार अभिलाषा जी 🙏
हटाएंवाह !बहुत खूब बटोही के माध्यम से बहुत प्रेरक सृजन सुधा जी | सस्नेह शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंढेर सारा स्नेह रेणु जी. बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 ❤️
हटाएंसुधा जी, आपने याद दिला दी ये पंक्तियां ...
जवाब देंहटाएंपूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले ।
पढ़ कर अच्छा लगा ।
प्रतिक्रिया पाकर मन आनंदित हुआ. बहुत बहुत शुक्रिया नुपुरम जी 🙏
हटाएंबहुत सुन्दर सार्थक संदेश देती रचना...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
बहुत बहुत शुक्रिया सुधा जी 🙏 🙏
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