लक्ष्य साधो हे पथिक,
हौसला टूटे नहीं।
कठिन है डगर मगर,
कठिन है डगर मगर,
मंजिल कोई छूटे नहीं।।
गिरोगे सौ बार पर,
गिरोगे सौ बार पर,
स्मरण तुम रखना यही।
यत्न बिन हासिल कभी,
यत्न बिन हासिल कभी,
कुछ भी तो होता है नहीं।।
पग पखारेगा वो पथ भी,
पग पखारेगा वो पथ भी,
जो निराश न होगे कभी।
काम कुछ ऐसा करो,
मंजिल उतारे आरती।।
संग उसको ले चलो,
संग उसको ले चलो,
जो पंथ से भटका दिखे।
क्लांत हो, हारा हो गर वो,
क्लांत हो, हारा हो गर वो,
साथ देना है सही।।
वृक्षों की छाया तले,
वृक्षों की छाया तले,
सुस्ताना है सुस्ता लो तुम।
पर ध्येय पर अपने बढ़ो,
पर ध्येय पर अपने बढ़ो,
बहुत ही बेहतरीन रचना सुधा जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनुराधा जी 🙏
हटाएंवाह बहुत सुन्दर लक्ष्य को साधो सार्थक चिंतन।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया कुसुम दी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर..... ,सादर
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सखी
हटाएंसुन्दर प्रेरणास्पद पंक्तियां
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रितु जी 🙏
हटाएंवाह !सार्थक चिन्तन प्रिय सखी
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद सखी 🙏 ♥️
हटाएंपग पखारेगा वो पथ भी,
जवाब देंहटाएंजो निराश न होगे कभी।
काम कुछ ऐसा करो,
मंजिल उतारे आरती
बहुत ही सुन्दर, सार्थक, प्रेरक रचना....
वाह!!!
शुक्रिया सुधा जी 🙏
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