ललकार रहा है हिंदुस्तान
ललकार रहा है हिन्दुस्तान
सुधर जा ओ अब पाकिस्तान!
मारो, काटो, आतंक करो...
ऐ दहशत गर्दों शर्म करो...
क्या इस्लाम यही सिखलाता है?
क्या कुरान से तुम्हारा नाता है?
क्यों खून खराबा करता है?
उस खुदा से क्यों नहीं डरता है?
क्यों अपनी नीच हरकतों से
तू घाटी को दहलाता है?
स्वर्ग से सुंदर धरती को
क्यूँ खून से तू नहलाता है?
ओ मसूद अजहर मौलाना!
तुझे चाह रही हूँ बतलाना!
है पाकिस्तानी शूकर तू
औकात नहीं तेरी लत्तों की!
तेरी हरकत है श्वानो जैसी
दुर्दशा भी होगी श्वानों सी ¡
कश्मीर तेरी जागीर नहीं
मत गंदी नजरे डाल इधर
तेरी लाश के जब जर्रे होंगे
'पाकि' ढूंढेंगे इधर-उधर!
कर ले तैयारी जाने की...
और नर्क में जश्न मनाने की...
तुझे हूरें बहत्तर बुला रही ..
तेरी याद में टेसूएँ बहा रहीं...
तू भारत को ललकार रहा
तेरा काल तुझे है पुकार रहा!
रख याद कि सारी शहादतें
बेकार नही होने देंगे!
तू जब तक खाक नहीं होता
तुझे चैन से न सोने देंगे!
सुधा सिंह 📝