Barish
अमृत बनकर फिर से बरसो
झम- झम बरसो बरखा रानी।
अपना रूप मनोहर लेकर
और सुघड़ बन जाओ रानी ।।
बरसो तन पर, मन पर बरसो
खेतों - खलिहानों में बरसो।
ताल - तलैया छूट न जाए
बियाबान सरसाओ रानी।।
सौंधी माटी फिर महकाओ
रिमझिम बूँदों से नहलाओ।
पय सम बारिश के कतरों से
कंठों को सहलाओ रानी।।
जीवजगत भया मरणासन्न
तुम बिन नहीं खाद्य उत्पन्न।
जीवन की दाता हो तुम ही
रुठ न हमसे जाओ रानी।।
हम सम नासमझों से तुम
क्रुद्ध कभी न होना रानी।
वसुधा की श्यामलता तुम हो
सुख समृद्धि लाओ रानी।।
अमृत बनकर फिर से बरसो
झम- झम बरसो बरखा रानी।
अपना रूप मनोहर लेकर
और सुघड़ बन जाओ रानी ।।
बरसो तन पर, मन पर बरसो
खेतों - खलिहानों में बरसो।
ताल - तलैया छूट न जाए
बियाबान सरसाओ रानी।।
सौंधी माटी फिर महकाओ
रिमझिम बूँदों से नहलाओ।
पय सम बारिश के कतरों से
कंठों को सहलाओ रानी।।
जीवजगत भया मरणासन्न
तुम बिन नहीं खाद्य उत्पन्न।
जीवन की दाता हो तुम ही
रुठ न हमसे जाओ रानी।।
हम सम नासमझों से तुम
क्रुद्ध कभी न होना रानी।
वसुधा की श्यामलता तुम हो
सुख समृद्धि लाओ रानी।।
Barish |
जवाब देंहटाएंजीवजगत भया मरणासन्न
तुम बिन नहीं खाद्य उत्पन्न।
जीवन की दाता हो तुम ही
रुठ न हमसे जाओ रानी।।.. बहुत सुंदर रचना सुधा जी
शुक्रिया अनुराधा जी 🙏
हटाएंसच में सुधा जी इस बार मानसून को देरी के कारण
जवाब देंहटाएंतन मन व्याकुल हैं आंखे पथरा गई है ,बरखा रूपी अमृत जल रस के लिए .....सुन्दर प्रस्तुति
शुक्रिया रितु जी 🙏
हटाएं
जवाब देंहटाएंहम सम नासमझों से तुम
क्रुद्ध कभी न होना रानी।
वसुधा की श्यामलता तुम हो
सुख समृद्धि लाओ रानी।।
बहुत सुंदर रचना,सुधा दी।
आभार ज्योति जी
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (28-06-2019) को "बाँट रहे ताबीज" (चर्चा अंक- 3380) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर गीत
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनिता दी 🙏 🙏 🙏
हटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
१जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
पाँच लिंकों में स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया श्वेता ❤️
हटाएंबहुत ही सुंदर सरस मनभावन अभिव्यक्ति सुधा जी।
जवाब देंहटाएंबरखा रानी आपकी मनुहार जरूर सुनेगी इतनी प्यारी विता सुन कर।
आभार कुसुम दी 🙏
हटाएंवाह!!बहुत ही खूबसूरत भावाभिव्यक्ति सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंहृदय तल से आभार 🙏 शुभा जी
हटाएं🙏 नमस्ते
बरसो तन पर, मन पर बरसो
जवाब देंहटाएंखेतों - खलिहानों में बरसो।
ताल - तलैया छूट न जाए
बियाबान सरसाओ रानी।।
बहुत ही सुन्दर खूबसूरत सृजन...
वाह!!!
शुक्रिया सुधा जी 🙏 🙏
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