तलब |
सितारों के आगे जहाँ खोजता हूँ ।
मैं धरती पर अपना मकां खोजता हूँ।।
वो गुम है, मैं जिसका तलबगार हूँ ।
मैं हर शय में अपना खुदा खोजता हूँ ।।
यूँ तो मुझमें ही खुशबू समाई है उनकी।
मैं मानिंद-ए-ग़ज़ाल कस्तूरियां खोजता हूँ ।।
यूँ तो मुझमें ही खुशबू समाई है उनकी।
मैं मानिंद-ए-ग़ज़ाल कस्तूरियां खोजता हूँ ।।
दर्द किस्मत में मेरी कितना लिखा है ।
मैं उस दर्द की इन्तेहाँ खोजता हूँ ।।
नाउम्मीदी ने इश्क में लताड़ा बहुत है।
फिर भी उम्मीदों का आसरा खोजता हूँ।।
नाउम्मीदी ने इश्क में लताड़ा बहुत है।
फिर भी उम्मीदों का आसरा खोजता हूँ।।
जाम- ए - मोहब्बत में तिरता रहूं मैं ।
ऐ साकी मेरे मयकदा खोजता हूँ।।
उल्फत की बातें पुरानी हुई अब ।
इश्क में फिर भी मैं तो, वफ़ा खोजता हूँ।।
बहुत सुंदर सुधा जी उम्दा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया दी 🙏 🙏 🙏
हटाएंवो गुम है, मैं जिसका तलबगार हूँ ।
जवाब देंहटाएंमैं हर शय में अपना खुदा खोजता हूँ ।।
दर्द किस्मत में मेरी कितना लिखा है ।
मैं उस दर्द की इन्तेहाँ खोजता हूँ ।।
वाह!!! सारे लाजवाब शेर हैं।
शुक्रिया मीना जी 🙏 🙏 🙏
हटाएंयूँ तो मुझमें ही खुशबू समाई है उनकी।
जवाब देंहटाएंमैं मानिंद-ए-ग़ज़ाल कस्तूरियां खोजता हूँ ।। बेहद खूबसूरत प्रस्तुति सुधा जी
बहुत बहुत शुक्रिया अनुराधा जी 🙏 सादर
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