पथिक अहो.....
मत व्याकुल हो!!!
डर से न डरो
न आकुल हो।
नव पथ का तुम संधान करो
और ध्येय पर अपने ध्यान धरो ।
नहीं सहज है उसपर चल पाना।
तुमने है जो यह मार्ग चुना।
शूल कंटकों से शोभित
यह मार्ग अति ही दुर्गम है ।
किंतु यहीं तो पिपासा और
पिपासार्त का संगम है ।
न विस्मृत हो कि बारंबार
रक्त रंजित होगा पग पग।
और छलनी होगा हिय जब तब।
बहुधा होगी पराजय अनुभूत।
और बलिवेदी पर स्पृहा आहूत।
यही लक्ष्य का तुम्हारे
सोपान है प्रथम।
इहेतुक न शिथिल हो
न हो क्लांत तुम।
जागृत अवस्था में भी
जो सुषुप्त हैं।
सभी संवेदनाएँ
जिनकी लुप्त हैं।
कर्महीन होकर रहते जो
सदा - सदा संतप्त हैं ।
न बनो तुम उनसा
जो हो गए पथभ्रष्ट हैं ।
बढ़ो मार्ग पर, होकर निश्चिंत।
असमंजस में, न रहो किंचित।
थोड़ा धीर धरो, न अधीर बनो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।
पथिक अहो, मत व्याकुल हो।
दुष्कर हो भले, पर लक्ष्य गहो।
सुधा सिंह 📝
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (30-01-2019) को "वक्त की गति" (चर्चा अंक-3232) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
पथिक अहो.....
जवाब देंहटाएंमत व्याकुल हो!!!
डर से न डरो
न आकुल हो।
नव पथ का तुम संधान करो
और ध्येय पर अपने ध्यान धरो ।
बहुत ही सुन्दर संदेश देती सार्थक भावाभिव्यक्ति
वाह!!!
बहुत बहुत धन्यवाद सखी
हटाएंनव पथ का तुम संधान करो
जवाब देंहटाएंऔर ध्येय पर अपने ध्यान धरो...
बहुत खूब.....
प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया रवींद्र जी..
हटाएंवाह कर्म पथ को अग्रसित करती सार्थक रचना सुधा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर।
शुक्रिया कुसुम दी. नमन 🙏 🙏 🙏
हटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका दीपशिखा जी 🙏 🙏 बहुत बहुत धन्यवाद.
हटाएंAti Sundar rachna
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सरिता जी 🙏 🙏 🙏
हटाएंकर्म पथ पर आरूढ़ रहने का प्रेरक सन्देश!!!
जवाब देंहटाएंसादर आभार सर 🙏 🙏 🙏
हटाएंI am happy to find this website eventually. Informative and inoperative, Thanks for the post and effort! Please keep sharing more such blogs.Sports Insider 247
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