IBlogger interview
रविवार, 18 सितंबर 2022
कहते थे पापा
गुरुवार, 6 जनवरी 2022
दीप मन का सदा जगमगाता रहे– गीत
मंगलवार, 22 जून 2021
संकट मोचक हे हनुमान (भजन)
संकट मोचक हे हनुमान,
चहुँदिस पसरा है अज्ञान।
कोरोना की मार पड़ी है
उलझन में बिखरा इंसान।।
आई विपदा हमें संभालो
इस संकट से प्रभु बचा लो।
संजीवनी की आशा तुमसे
शरण में अपनी लो भगवान।।
काल नेमि का काल बने तुम
कनक लंक को जार दिए तुम।
भक्तों का तुम एक सहारा
करो कृपा हे कृपा निधान।।
राम तुम्हारे हृदय समाए
महिमा तुम्हारी कही न जाए।
अष्ट सिद्धियों के तुम स्वामी
खुशियों का दे दो वरदान।।
सोमवार, 14 जून 2021
कर्ज़
मन हरण घनाक्षरी
विषय :कर्ज़(11/10/2020)
रूखा सूखा खाइए जी
ठंडा पानी पीजिए जी
दूजे से उधार किन्तु
लेने नहीं जाइए
रातों को न नींद आए
दिन का भी चैन जाए
भोगवादी धारणा को
चित्त से हटाइए
जीना भी मुहाल होगा
दुख बेमिसाल होगा,
धैर्य सुख का है मंत्र
उसे अपनाइए
श्रम से विकास होगा
दीनता का नाश होगा
श्रम से ही जीवन को
सफल बनाइए
सुधा सिंह व्याघ्र
रविवार, 6 जून 2021
गरीब, गरीबी और उनका धाम
एक चौराहा,
उसके जैसे कई चौराहे,
सड़क के दोनों किनारों के
फुटपाथों पर बनी नीली- पीली,
हरी -काली पन्नियों वाली झुग्गियाँ,
पोटली में लिपटे कुछ मलिन वस्त्र...
झुग्गियों के पास ईंटों का
अस्थायी चूल्हा....
यहाँ- वहाँ से एकत्रित की गई
टूटे फर्निचर की लकड़ियों से
चूल्हे में धधकती आग,
चूल्हे पर चढ़े टेढ़े - मेढ़े
कलुषित पतीले में पकता
बकरे का माँस,
ज्येष्ठ की तपती संध्या में
पसीने से लथपथ चूल्हे के समक्ष बैठी
सांवली-सी गर्भवती स्त्री की गोद में
छाती से चिपटा एक दुधमुँहा बालक,
रिफाइंड तेल के पाँच, दस, पंद्रह लीटर के
पानी से भरे कैन,
कैन से गिलास में पानी उड़ेलने का
असफल प्रयास करती पाँच छः वर्ष की
मटमैली फ्राक पहनी बालिका,
दाल - भात से सना बालिका का मुख,
पानी पीने को व्यग्र,
बहती नाक और आँख से बहती अश्रु धारा से
भीगे साँवले कपोल,
बगल ही बैठा खुद में निमग्न
एक सांवला, छोटा कद पुरुष,
उसकी बायीं कलाई में नीलाभ
रत्नजड़ित लटकती गिलेट की मोटी ज़ंजीर,
भूरे जले से केश,
हरे रंग की अनेक छेदों वाली बनियान,
दो उंगलियों के बीच फँसी सिगरेट से निकलता धुआँ,
दूसरे हाथ में बियर की एक बोतल और
सामने ही कटोरे में रखी कुछ भुनी मूँगफलियाँ,
झुग्गी की दूसरी ओर पाँच छह हमउम्र दोस्तों में
चलती ताश की बाजी,
नीचे बिछे कपडे पर लगातार गिरते और उठते रुपए, तमाशबीनों का शोर...
हवा में उड़ते बहते अपशब्द और निकृष्ट गालियाँ.
उभरे पेट लिए सड़क पर घूमते अधनंगे बालक,
फुटपाथ से सड़क तक अतिक्रमण,
अवरुद्ध राहें,
सड़क पर लगा लंबा जाम
एक परिदृश्य आम,
यही है गरीब, गरीबी और उनका धाम...