दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
रौशनी की जगह ,वो तिमिर दे गया
मन की आशाएँ ,इच्छाएं वो ले गया
अब हुआ है सबेरा, जगो साथियों
गीत नव हर्ष का, दिल ये गाता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
आया दुख का समय भी निकल जाएगा
हार पौरुष से तेरे वो पछताएगा
छोड़ दो डर को साथी, बढ़ो हर कदम
खौफ का मन से कोई न नाता रहे।।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
फिसला है वक्त हाथों से माना मगर
कांटों से है भरी माना अपनी डगर
अपने विश्वास को डगमगाने न दो
यूं हंसों जग चमन खिलखिलाता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे
आंसुओं से भरी माना हर शाम थी
हर खुशी तेरी कोविड के ही नाम थी
लड़ बुरे वक्त से तू खड़ा है हुआ
जीत हर बाजी तू मुस्कुराता रहे।
दीप मन का सदा जगमगाता रहे
डर करोना का दिल से भी जाता रहे।
सुधा सिंह ‘व्याघ्र’💗
1 टिप्पणी:
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