संकट मोचक हे हनुमान,
चहुँदिस पसरा है अज्ञान।
कोरोना की मार पड़ी है
उलझन में बिखरा इंसान।।
आई विपदा हमें संभालो
इस संकट से प्रभु बचा लो।
संजीवनी की आशा तुमसे
शरण में अपनी लो भगवान।।
काल नेमि का काल बने तुम
कनक लंक को जार दिए तुम।
भक्तों का तुम एक सहारा
करो कृपा हे कृपा निधान।।
राम तुम्हारे हृदय समाए
महिमा तुम्हारी कही न जाए।
अष्ट सिद्धियों के तुम स्वामी
खुशियों का दे दो वरदान।।
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