प्रतीक्षा |
एक सदी से प्रतीक्षा कर रही हूँ !
कुछ उधड़ी परतें सिल चुकी हूँ!
कुछ सिलनी बाकी है!
कई- कई बार सिल चुकी हूँ पहले भी !
फिर भी दोबारा सिलना पड़ता है !
जहाँ से पहले शुरू किया था,
फिर वहीं लौटना पड़ता है!
भय है कि वह कच्चा सूत,
कहीं फ़िर से टूट न जाए !
पक्का सूत खरीदना है,
पर सामर्थ्य नहीं है!
सोचती हूँ, कि
कच्चे सूत से सिले,
मेरी ख्वाहिशों के इस टुकड़े का
कोई अच्छा पारखी,
कोई क्रेता मिल जाए,
तो मैं भी फुरसत से ,
जिंदगी से थोड़ी गुफ़्तगू कर लूँ!
थोड़ी अपनी कह लूँ!
थोड़ी उसकी सुन लूँ!
वह भी तो दहलीज पर
खड़ी जाने कब से
मेरी प्रतीक्षा ही कर रही है...