दर्द |
दर्द कहाँ सुंदर होता है
दर्द को भला कभी कोई अच्छा कहता है
दर्द सालता है
दर्द कचोटता है, चुभता है
इसका रूप भयावह है
फिर दर्द को क्यों किसी को दिखाना
इसे छुपाओ तकिये में, गिलाफों में,
किसी काली अँधेरी कोठरी में
या बंद कर दो दराजों में
ताले चाबी से जकड़ दो
कि कहीं किसी
अपने को दिख ना जाए
अन्यथा यह चिपक जाएगा उसे भी
जो तुम्हें प्रिय हैं, बहुत प्रिय..
दर्द को छुपा दीजिए उसी तरह
जिस तरह घर में अतिथियों के आने से पहले छुपाए जाते हैं सामान
अलमारियों के पीछे, कुछ खाट के नीचे, कि सब कुछ साफ़ सुथरा दिखना चाहिए
बिलकुल बेदाग.......
आडंबर का पूरा आवरण ओढ़ लीजिए, पहन लीजिए एक मुखौटा .....
कि यह दर्द बेशर्म है बड़ा
उस नादान बच्चे की तरह...
जो हमारे सारे राज़
खोल देता है आगन्तुकों के समक्ष ...
और उसे भान भी नहीं होता
दबा दीजिए उसे रसातल में, पाताल में या फेंक दीजिए उसे आकाश गंगा में ..
कि कहीं ये रूसवा न कर दे हमें
हमेशा- हमेशा के लिए...
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदर्द सालता है, कचोटता है फिर भी
मजबूत बनाता है
बधाई एक खूबसूरत रचना के लिये
सादर
शुक्रिया.. बहुत दिनों के बाद हिम्मत की है कुछ लिखने की. वरना पापा के जाने के बाद मन टूट चुका था😔😔😔 🙏🙏🙏🙏
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जवाब देंहटाएंदर्द कहाँ सुंदर होता है
दर्द को भला कभी कोई अच्छा कहता है
दर्द सालता है
दर्द कचोटता है, चुभता है
इसका रूप भयावह है... बेहद हृदयस्पर्शी रचना
शुक्रिया अनुराधा जी 🙏 🙏 🙏
हटाएंवाह सुधा जी दर्द को छिपा दीजिए उसी तरह जिस तरह घर में अतिथियों के आने से पहले छुपाए जाते हैं सामान आलमारी के पीछे खाट के नीचे ,अक्सर ऐसा ही होता है ,अपने दर्द की नुमाइश करके कोई फायदा नहीं होता उल्टा हंसी और व्यंग का पात्र ही बन्ना पड़ता है ,और कहते भी है ना रोने वाले के साथ कोई नहीं रोता हंसने वाले के साथ फिर भी सब हंस लेते हैं
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति सुधा जी
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया 🙏🙏🙏😘
हटाएंसुधा दी, सही कहा आपने कि दर्द को छुपाना ही पड़ता है। चाहे उसका रूप कोई भी हो। सुंदर प्रस्तूति।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया बहन 🙏🙏
हटाएंभावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आदरणीय शानू जी. 🙏 🙏 स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर.
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