विषय- नवगीत
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*क्या चलोगे साथ मेरे*
*उस गगन के पार*
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क्या चलोगे साथ मेरे,उस गगन के पार
आपसे है प्रीत हमको, करना न इनकार
साजन बाधा विघ्नों में , मैं न जाऊँ काँप
आपका है हाथ थामा , साथ देना आप
आपसे ही आस मेरी , आप हैं संसार
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार
सपने हमने देखे जो, पूरे हो मनमीत
हर्ष का वरदान पाएँ , रचें स्नेहिल गीत
प्यार का बंधन हमारा, ये नहीं व्यापार
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार
रात काली कट गई है ,आ गई शुभ भोर
स्वप्न ढेरों सज गए हैं , नाचे मन विभोर
बज उठा मन का मृदंगा, छेड़ हिय के तार
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार
सुधा सिंह व्याघ्र
©®सर्वाधिकार सुरक्षित
प्यार का बंधन हमारा, ये नहीं व्यापार
जवाब देंहटाएंक्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार..
लाजवाब .. सुबह-सुबह आपकी रचना पढ़ स्मृतियों में खोता चला गया।
सादर नमन।
इन स्नेहिल सराहनीय शब्दों के लिए बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय🖊️🙏🙏🙏
हटाएंसपने हमने देखे जो, पूरे हो मनमीत
जवाब देंहटाएंहर्ष का वरदान पाएँ , रचें स्नेहिल गीत
प्यार का बंधन हमारा, ये नहीं व्यापार
क्या चलोगे साथ मेरे,
उस गगन के पार
बहुत प्यारा आत्मीयता से भीगा प्रेमगीतप्रिय सुधा जी। 👌👌👌 बहुत भाषण शुभकामनायें। भावों का सफर अनवरत जारी रहे । 🌹🌹🌹🌹
हौसला अफजाई के लिए बहुत बहुत आभार दी🙏🙏
हटाएंशुक्रिया आदरणीय
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