बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

तेरी यादों में रोया हूँ...




एक ग़ज़ल नुमा रचना

तेरी यादों में रोया हूँ....


हँसा हूँ तेरी बातों पे ,तेरी यादों में रोया हूँ
प्यार है बस तुझी से तो,प्यार के बीज बोया हूँ।

खटकता हूँ सदा तुझको, मुझे य़ह बात है मालूम ,
मगर सपने तेरे देखे ,तेरी यादों में खोया हूँ।

मेरी आँखों के अश्रु भी, तुझे पिघला सके न क्यों
तेरी नफ़रत की गठरी को, दिवस और रात ढोया हूँ।

कदर तुझको नहीं मेरी, तेरी खातिर सहा कितना,
मिली रुस्वाइयाँ फिर भी, प्रीत - माला पिरोया हूँ ।

गए हो लौटकर आना, कभी दिल से भुलाना ना,
नहीं मैं बेवफा दिलबर, वफ़ा में मैं भिगोया हूँ ।
सुधा सिंह 'व्याघ्र'



12 टिप्‍पणियां:

  1. कदर तुझको नहीं मेरी, तेरी खातिर सहा कितना,
    मिली रुस्वाइयाँ फिर भी, प्रीत - माला पिरोया हूँ ।
    भावनाओं एवं शब्दों का बेहद खूबसूरती के साथ संयोजन

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    1. आपके इन सराहनीय शब्दों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय 🙏

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    अनीता लागुरी"अनु"

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  3. वाह!बेहतरीन सृजन सुधा जी ।

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  4. हँसा हूँ तेरी बातों पे ,तेरी यादों में रोया हूँ
    प्यार है बस तुझी से तो,प्यार के बीज बोया हूँ।

    बहुत खूब....,सादर नमन आपको सुधा जी

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  5. ओंकार जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏

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  6. बेहतरीन सृजन सुधा जी
    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग :)
    Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर ज़िंदगी का तजुर्बा:)

    जवाब देंहटाएं

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